नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते भारत समेत दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल छाए हैं. संक्रमण को काबू करने के लिए प्रतिबंध की वजह से इकनॉमी बुरी तरह प्रभावित हुई है. देश के कई अर्थशास्त्रियों ने अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी (-)13.6 फीसदी से लेकर (-) 25.5 फीसदी तक गिरने का अनुमान जताया है. लेकिन अच्छी खबर ये है कि कोरोना संकट के बाद भारत सुधारों के जरिए 7 फीसदी की विकास दर हासिल कर सकता है, जैसे कि दो साल पहले थी. ये बात अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में इंडिया मिशन के चीफ रानिल सालगाडो ने कही है.


अग्रेंजी अखबार द हिंदू को दिए इंटरव्यू में रानिल सालगाडो ने कहा, दो साल पहले भारत की विकास दर एवरेज सात फीसदी थी. हमें लगता है कि भारत उस ओर वापस आ सकता है. हालांकि हम ये नहीं कह सकते कि ऐसा कितनी जल्दी होगा. आंशिक रूप से, यह जनसांख्यिकी को दर्शाता है. भारत की अपेक्षाकृत युवा आबादी है, संभवतः एशिया में सबसे कम उम्र की है.


हालांकि आईएमएफ के वर्ल्ड इकनॉमिक आउटलुक अपडेट ने जून 2020 में 4.9 फीसदी की विकास दर पूर्वानुमान जताया है. जबकि अप्रैल 2020 में इससे लगभग 2 फीसदी अंक कम होने का अनुमान लगाया गया.


कोरोना संकट के बाद भारत में कौन से संरचनात्मक सुधार आवश्यक हैं?
इस सवाल के जवाब में रानिल सालगाडो ने कहा, अगर हम भारत को दीर्घावधि में देखें, तो 1990 के दशक के बाद से देश में क्रमिक संरचनात्मक सुधार का रिकॉर्ड रहा है. हमें लगता है कि संकट खत्म होने के बाद वापस आता ही है. कुछ संरचनात्मक सुधार जो हमने पहले की सरकार को कृषि क्षेत्र में विशेष रूप से घोषणा करते हुए देखे हैं. उन्होंने कुछ साल पहले पर्याप्त कदम उठाए थे, चाहे वह इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) हो, GST का गठन हो या एफडीआई. ये ऐसे क्षेत्र हैं जहां सुधारों के साथ प्रगति हुई है.


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