Chinese Products: भारत और चीन के बीच पिछले कई सालों से बॉर्डर को लेकर जगह-जगह विवाद होते रहे हैं. हाल ही में गलवान वैली में हुए संघर्ष में कई भारतीय सिपाहियों की जानें गई थीं. इसके बाद चाइनीज प्रोडक्ट्स के बहिष्कार का एक लंबा सिलसिला चला था. साथ ही भारत सरकार ने भी कई चीनी कंपनियों को देश से कारोबार समेटने पर मजबूर कर दिया था. सीमा पर तनाव की स्थिति भले ही सालों बाद भी वैसी की वैसी ही है लेकिन, कारोबार के मोर्चे पर अब स्थिति बिल्कुल उलट हो चुकी है. भारत और चीन का व्यापार (India China Trade) न सिर्फ तेजी से बढ़ा है बल्कि इसमें इंपोर्ट का हिस्सा ज्यादा है. इसके चलते हमारा व्यापार घाटा भी बढ़ता जा रहा है.
कॉमर्स मिनिस्ट्री ने जारी किए आंकड़े
कॉमर्स मिनिस्ट्री (Ministry of Commerce) के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अगस्त के दौरान चीन को एक्सपोर्ट 8.3 फीसदी घटकर 5.8 अरब डॉलर रह गया है. उधर, इंपोर्ट में 10.96 फीसदी का उछाल आया और यह 46.65 डॉलर हो गया है. इससे व्यापार घाटा (Trade Deficit) भी बढ़कर 35.85 अरब डॉलर हो गया है. भारत से चीन को एक्सपोर्ट सिर्फ अगस्त में ही 22.44 फीसदी घटकर 1 अरब डॉलर रह गया है. उधर, इंपोर्ट 15.55 फीसदी बढ़कर 10.8 अरब डॉलर पहुंच गया है.
इन देशों से एक्सपोर्ट घटा और इंपोर्ट बढ़ा
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस दौरान अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात (UAE), सिंगापुर, बांग्लादेश, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, नेपाल, बेल्जियम और तुर्की को होने वाले एक्सपोर्ट में भी गिरावट आई है. साथ ही इस दौरान यूएई, स्विट्जरलैंड, दक्षिण कोरिया, जापान, थाईलैंड, वियतनाम और ताइवान से इंपोर्ट में इजाफा होता जा रहा है. अमेरिका पिछले वित्त वर्ष में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. उसके बाद चीन का स्थान था. चीन 2013-14 से 2017-18 और 2020-21 में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. चीन से पहले यूएई देश का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था. अमेरिका 2021-22 और 2022-23 में सबसे बड़ा व्यापार भागीदार था.
अमेरिका से कारोबार में एक्सपोर्ट रहा ज्यादा
अगस्त में भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट 6.29 फीसदी घटकर 6.55 अरब डॉलर जबकि इंपोर्ट 6.3 फीसदी घटकर 3.82 अरब डॉलर रहा है. अप्रैल से अगस्त के दौरान अमेरिका को एक्सपोर्ट 5.72 फीसदी बढ़कर कुल 34 अरब डॉलर हो गया जबकि इंपोर्ट 3.72 फीसदी बढ़कर 19 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. इसके चलते व्यापार अधिशेष 15 अरब डॉलर रहा. इसी तरह अगस्त में रूस से देश का इंपोर्ट लगभग 40 फीसदी घटकर 2.57 अरब डॉलर रहा. वहीं, कच्चे तेल के इंपोर्ट के कारण अप्रैल से अगस्त 2024-25 के दौरान आयात 6.39 फीसदी बढ़कर 27.35 अरब डॉलर रहा.
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