India Entrepreneurship Report: देश को विभिन्न क्षेत्रों में आत्मनिर्भर (Aatmanirbhar Bharat) बनाने के प्रयासों में तेजी आई है. हालिया सालों के दौरान देश में उद्यमिता को लेकर सुधरे माहौल से इसमें मदद मिल रही है. यही कारण है कि जब स्टार्टअप्स और उद्यमिता की दुनिया जब संघर्ष कर रही थी, भारत में इनका फलना-फूलना जारी था. इसके दम पर भारत ने सबसे ज्यादा यूनिकॉर्न्स (Unicorns In India) के मामले में लगातार दूसरे साल चीन को मात दे दी है.
चीन से ज्यादा बने यूनिकॉर्न्स
यह जानकारी एक ताजी रपट में सामने आई है, जिसे तैयार किया है बेन एंड कंपनी ने. बेन एंड कंपनी ने इंडियन वेंचर एंड अल्टरनेट कैपिटल एसोसिएशन के साथ मिलकर अपनी सालाना इंडिया वेंचर कैपिटल रिपोर्ट के ताजा संस्करण को प्रकाशित किया है. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 के दौरान भी भारत में स्टार्टअप्स के यूनिकॉर्न बनने की गति बरकरार रही और इस मामले में भारत ने लगातार दूसरे साल चीन को पीछे छोड़ दिया.
क्या होते हैं यूनिकॉर्न्स
यूनिकॉर्न वैसे स्टार्टअप्स को कहा जाता है, जिनकी वैल्यू शेयर बाजार में लिस्ट होने से पहले 01 बिलियन डॉलर के स्तर को छू जाती है. यह अमूमन स्टार्टअप्स को फंडिंग के दौरान मिली वैल्यूएशन के हिसाब से तय होता है.
छोटे शहरों में बना माहौल
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल भारत में 23 नए यूनिकॉर्न तैयार हुए. इतना ही नहीं बल्कि एक और अच्छी बात भी सामने आई कि अब स्टार्टअप्स का विकास मेट्रो शहरों से इतर भी हो रहा है. पिछले साल के दौरान नॉन-मेट्रो शहरों के स्टार्टअप्स की फंडिंग में 18 फीसदी की तेजी आई. साल 2022 के दौरान देश में जो 23 यूनिकॉर्न तैयार हुए, इनमें से नौ ऐसे हैं, जो टॉप-3 शहरों से बाहर के हैं. यह बताता है कि भारत में स्टार्टअप्स की फंडिंग लोकतांत्रिक हो रही है.
चुनौतियों का हुआ ये असर
रिपोर्ट में दिखाए गए आंकड़े बताते हैं कि साल 2022 के दौरान भारत में वेंचर कैपिटल के निवेश पर वृहद आर्थिक अनिश्चितता और मंदी की आशंकाओं का असर हुआ. 2021-22 के दौरान भारत में डील्स की वैल्यू 38.5 बिलियन डॉलर से 33 फीसदी कम होकर 25.7 बिलियन डॉलर पर आ गई. रिपोर्ट के अनुसार, यह गिरावट 2022 के अंतिम छह महीने के दौरान ज्यादा आई. हालांकि इसके बाद भी शुरुआती चरणों वाले स्टार्टअप्स के लिए मोमेंटम बना रहा और इस सेगमेंट में पिछले साल 1600 से ज्यादा सौदे हुए.
2023 से हैं ये उम्मीदें
बेन एंड कंपनी में पार्टनर अर्पण सेठ ने कहा, 2022 के दौरान ओवरऑल फंडिंग में गिरावट आई. खासकर बाद के चरणों की बड़ी डील्स कम हुईं. इकोसिस्टम में व्यापक बदलाव देखने को मिला. स्टार्टअप्स को विभिन्न नियामकीय चुनौतियों से लेकर छंटनी और कंपनी संचालन से जुड़े मुद्दों को लेकर दिक्कतों से जूझना पड़ा. हालांकि इसके बाद भी कुछ सेक्टर्स ने उम्मीदों को बरकरार रखा. सॉफ्टवेयर ऐज अ सर्विस में फंडिंग 2021 के उच्च स्तर के आस-पास रही. हमें उम्मीद है कि 2023 में भारत में एक ठोस इकोसिस्टम का उभार देखने को मिलेगा.
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