External Debt: जून तक बढ़कर इतना हुआ भारत का कुल विदेशी कर्ज, एनआरआई तेजी से बढ़ा रहे हैं डिपॉजिट
India's Overseas Debt: भारत के कुल विदेशी कर्ज में पिछले एक साल के दौरान तेजी देखी गई है. इस दौरान एनआरआई के डिपॉजिट में अच्छी-खासी बढ़ोतरी आई है...
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भारत के विदेशी कर्ज में पिछले एक साल के दौरान तेजी देखने को मिली है. हालांकि विदेशी कर्ज के बढ़ने की रफ्तार पिछले साल भर के दौरान बहुत ज्यादा नहीं रही है. रिजर्व बैंक के द्वारा जारी किए गए शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 तक भारत का कुल विदेशी कर्ज 629 बिलियन डॉलर रहा, जो साल भर पहले यानी जून 2022 तक के कुल विदेशी कर्ज की तुलना में 2.7 फीसदी ज्यादा है.
इस एक कारण ने दिया योगदान
रिजर्व बैंक के आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल के दौरान विदेशी कर्ज बढ़ने का एक मात्र कारण एनआरआई डिपॉजिट में आई ठीक-ठाक बढ़ोतरी है. बकौल सेंट्रल बैंक, इस दौरान विदेशी कर्ज में योगदान देने वाले अन्य सभी फैक्टर लगभग स्थिर रहे हैं. सेंट्रल बैंक को छोड़ दें तो एनआरआई से डिपॉजिट मुख्य तौर पर डिपॉजिट लेने वाले कॉरपोरेशन के माध्यम से आता है और उन्हें डेट यानी कर्ज में गिना जाता है.
ऐसे बढ़ा एनआरआई डिपॉजिट
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, जून तिमाही में ऐसे डिपॉजिट 6.5 फीसदी बढ़कर 167 बिलियन डॉलर पर पहुंच गए. साल भर पहले यानी जून 2022 की तिमाही समाप्त होने के बाद यह आंकड़ा 157 बिलियन डॉलर पर था. वहीं नॉन-फाइनेंशियल कॉरपोरेशन के पास डिपॉजिट 250 बिलियन डॉलर पर स्थिर बना रहा. आंकड़े ये भी बताते हैं कि जनरल गवर्नमेंट डेट कम हुआ है, जबकि नॉन-गवर्नमेंट डेट बढ़ा है.
सबसे ज्यादा डॉलर का है योगदान
भारत के कुल विदेशी कर्ज में अमेरिकी डॉलर वाले कर्ज सबसे बड़े हिस्सेदार बने हुए हैं. जून 2023 की तिमाही समाप्त होने के बाद इनका हिस्सा 54.4 फीसदी था. दूसरे नंबर पर भारतीय रुपये वाले कर्ज रहे, जिनका हिस्सा अभी 30.4 फीसदी था. वहीं 5.7 फीसदी की हिस्सेदारी के साथ दक्षिण अफ्रीकी रैंड तीसरे स्थान पर, 5.7 फीसदी के साथ जापानी यान चौथे स्थान पर और 3 फीसदी योगदान के साथ यूरो पांचवें स्थान पर रहा.
जीडीपी की तुलना में कम हुआ अनुपात
जून तिमाही के दौरान एक्सटर्नल डेट टू जीडीपी रेशियो कम हुआ है. यह अनुपात मार्च 2023 तिमाही के समाप्त होने के बाद 18.8 फीसदी पर था, जो जून तिमाही के समाप्त होने के बाद 18.6 फीसदी पर आ गया. इस दौरान डेट सर्विस यानी कर्ज के भुगतान में अच्छी तेजी आई है. मार्च 2023 के अंत में यह 5.3 फीसदी था, जो जून 2023 के अंत में बढ़कर 6.8 फीसदी पर पहुंच गया.
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