India Fiscal Deficit: वित्त वर्ष 2023-24 के पहले आठ महीने के दौरान अप्रैल से नवंबर तक के बीच देश का राजकोषीय घाटा 9.07 लाख करोड़ रुपया रहा है. पहले आठ महीने में वित्तीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के अनुमान का 50.7 फीसदी पर जा पहुंचा है जबकि बीते वित्त वर्ष में इस अवधि के दौरान साल वित्तीय घाटा वित्त वर्ष के अनुमान का 58.9 फीसदी रहा था.   


लेखा महानियंत्रक (CGA) ने शुक्रवार 29 दिसंबर, 2023 को अप्रैल से नवंबर तक के लिए राजकोषीय घाटे का डेटा जारी किया है. इस डेटे का मुताबिक भारत सरकार को चालू वित्त वर्ष में नवंबर 2023 तक 17.46 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए है जो कि बजट अनुमान का 64.3 फीसदी रहा है. जबकि इस अवधि में सरकार का कुल खर्च 26.52 लाख करोड़ रुपये रहा है जो कि बजट अनुमान का 58.9 फीसदी है.


सरकार का रेवेन्यू रिसिप्ट्स 17.20 लाख करोड़ रुपये रहा है जिसमें से टैक्स रेवेन्यू 14.36 लाख करोड़ रुपये रहा है और नॉन टैक्स रेवेन्यू 2.84 लाख करोड़ रुपये रहा है. टैक्स रेवेन्यू बजट अनुमान का 61.6 फीसदी, जबकि नॉन-टैक्स रेवेन्यू 94.3 फीसदी रहा है. बीते साल के मुकाबले टैक्स रेवेन्यू में कमी आई है जबकि नॉन-टैक्स रेवेन्यू में उछाल देखने को मिला है.  आरबीआई ने सरकार को 87,416 करोड़ रुपये ट्रासंफर किए हैं जिसके चलते नॉन-टैक्स रेवेन्यू में उछाल आया है. 


रेवेन्यू डेफसिट 3.46 लाख करोड़ रुपये रहा है जो कि पूरे साल के लिए बजट अनुमान का 39.8 फीसदी है. हालांकि ये माना जा रहा है कि मोदी सरकार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर कई लोकलुभावन घोषणाएं कर सकती है जिससे सरकार वो तीसरी बार सत्ता में वापसी कर सके ऐसे में आने वाले दिनों में वित्तीय घाटा बढ़ने की संभावना है.  


राजकोषीय घाटा सरकार के आय और खर्च के बीच फर्क है जिसे पूरा करने के लिए सरकार बाजार से उधार लेकर पूरा करती है. 2023-24 के लिए आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे को 17.86 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 5.9 फीसदी रखने के लक्ष्य तय किया है.


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