India Forex Reserves: 645.6 बिलियन डॉलर के ऐतिहासिक हाई पर जा पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार, RBI गवर्नर ने दी जानकारी
Foreign Exchange Reserves: RBI गवर्नर ने कहा कि अक्टूबर 2021 में भी विदेशी मुद्रा भंडार 642 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा था. रूस यूक्रेन के युद्ध और डॉलर के आउटफ्लो के चलते गिरावट आ गई थी.
India Foreign Exchange Reserves: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार नए ऐतिहासिक रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा है. 29 मार्च 2024 को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 645.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर जा पहुंचा है जो इसके पहले हफ्ते में 642.63 बिलियन डॉलर रहा था. वित्त वर्ष 2024-25 की पहली मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद लिए गए फैसलों का एलान करते हुए आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये जानकारी दी.
विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड हाई पर
आरबीआई गवर्नर ने पॉलिसी स्टेटमेंट पढ़ते हुए कहा कि 29 मार्च 2024 को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अपने ऑलटाइम हाई लेवल 645.6 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है. यानि पिछले एक हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 3 बिलियन डॉलर का उछाल देखने को मिला है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अलग अलग बाहरी लचीलेपन वाले इंडीकेटर्स भारत के एक्सटर्नल सेक्टर की मजबूती की ओर इशारा कर रहे हैं. शक्तिकांत दास ने कहा, हम अपने एक्सटर्नल फाइनेंसिंग जरूरतों को पूरा करने में कामयाब रहेंगे.
रूस - यूक्रेन युद्ध के चलते आई थी गिरावट
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अक्टूबर 2021 में भी विदेशी मुद्रा भंडार 642 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड हाई पर जा पहुंचा था. लेकिन रूस और यूक्रेन के युद्ध और डॉलर के भारत से आउटफ्लो के चलते इसमें गिरावट देखने को मिली थी. उन्होंने बताया कि तब विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 524 बिलियन डॉलर पर आ गया था. उन्होंने कहा कि तब विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट को लेकर चिंता जाहिर की गई थी कि आरबीआई क्या कर रहा है. तब हमने कहा था कि हमारे एसेट्स के वैल्यूएशन में बदलाव और घरेलू करेंसी को मजबूती देने के लिए दखल देने के चलते फॉरेक्स रिजर्व में तब गिरावट आई थी. उन्होंने कहा कि तब हमने कहा था कि हम बेहद बेहतर तरीके से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं.
बाजार तय करेगा एक्सचेंज रेट
आरबीआई गवर्नर ने कहा अब एक बार फिर विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़तरी आई है और ये रिकॉर्ड हाई पर है. उन्होंने कहा आरबीआई अपने इस स्टैंड पर कायम है कि रुपये का एक्सचेंज रेट बाजार तय करे. डॉलर का इनफ्लो और आउफ्लो बना रहेगा. लेकिन हम चाहते हैं कि हमारे पास विदेशी मुद्रा का बड़ा भंडार रहे जिससे जब हालात बदले तो हमें कोई दिक्कत ना हो.
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