India Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार 4 महीने के निचले स्तर पर, घटकर 590.70 बिलियन डॉलर हुआ फॉरेक्स रिजर्व
India Forex Reserves: भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक देश के विदेशी मुद्रा भंडार में बीते हफ्ते 2.33 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है और ये 590.70 बिलियन डॉलर तक आ गिरा है.
India Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट का सिलसिला जारी है और ये 4 महीने के निचले स्तर पर आ गया है. देश का विदेशी मुद्रा भंडार 22 सितंबर को खत्म हफ्ते में 2.33 अरब डॉलर घटकर 590.70 अरब डॉलर पर आ गया है. डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत को संभालने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया आने वाले समय में डॉलर की बिकवाली पब्लिक सेक्टर बैंक के जरिए कर सकता है. करेंसी ट्रेडर्स के सूत्रों के मुताबिक ये जानकारी मिली है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किया आंकड़ा
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट जारी है और भारतीय रिजर्व बैंक की वेबसाइट पर जारी आंकड़ों के मुताबिक इसमें बीते हफ्ते 2.33 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है. इससे पिछले हफ्ते यानी 15 सितंबर को खत्म सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 593.03 अरब डॉलर पर रहा था और इसमें भी 5 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई थी. इसे मिलाकर देखा जाए तो लगातार 2 हफ्तों में कुल 5.9 अरब डॉलर की गिरावट देश के विदेशी मुद्रा भंडार में देखी जा चुकी है.
India's foreign exchange reserves drop USD 2.335 billion to USD 590.702 billion for week ended September 22: RBI
— Press Trust of India (@PTI_News) September 29, 2023
विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट से भारतीय रिजर्व बैंक भी चिंता के दायरे में जा सकता है और इसी का नतीजा है कि पब्लिक सेक्टर बैंक के जरिए डॉलर की बिकवाली के बारे में खबरें आ रही हैं. माना जा रहा है कि भारतीय करेंसी रुपये की मजबूती के लिए आरबीआई कुछ ठोस कदम ले सकता है.
आज रुपये में दिखा सुधार
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में अमेरिकी करेंसी के मुकाबले रुपया शुक्रवार को 14 पैसे की बढ़त के साथ 83.05 (अस्थायी) प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ है. शेयर बाजारों में मजबूत रुख और प्रमुख फॉरेन करेंसी के मुकाबले डॉलर में तेज गिरावट से भारतीय करेंसी रुपये को आज बढ़ावा मिला है. करेंसी के कारोबारियों ने कहा कि विदेशी निवेशकों की बिकवाली के दबाव और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का घरेलू इकाई पर असर पड़ा है.
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