India GDP Data: मूडीज ने कहा - 2022 में 3.5 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंची भारतीय अर्थव्यवस्था, पर नौकरशाही की लेटलतीफी बड़ी चुनौती
Indian Economy: मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यूरोक्रेसी की लेटलतीफी रवैया का खामियाजा विदेशी निवेश के डेस्टीनेशन के तौर पर उठाना पड़ सकता है.
India GDP Data: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खुशखबरी है. वर्ष 2022 में भारत का जीडीपी 3.5 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा रहा है और आने वाले पांच वर्षों तक इंडियन इकोनॉमी जी20 समूह के देशों में सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था रहने वाली है. अमेरिकी रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में ये जानकारी दी है.
मूडीज ने भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद चुनौतियों का भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है. उसने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यूरोक्रेसी की लेटलतीफी रवैया का खामियाजा उठाना पड़ सकता है. इससे लाइसेंस हासिल करने में देरी, कारोबार शुरू करने की अनुमति प्रक्रिया विलंब के साथ प्रोजेक्ट में देरी जैसे दिक्कतों के चलते विदेशी निवेश में अड़चनें पैदा हो सकती है जिससे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) गंतव्य के तौर पर भारत के आकर्षण को कम कर सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सुधार प्रक्रिया को अपनाने में देरी और नीति निर्धारण में बाधा से निवेश प्रभावित हो सकती है.
मूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने रिपोर्ट में कहा, निर्णय-निर्माण प्रक्रिया में शामिल भारत की शीर्ष नौकरशाही इस क्षेत्र के इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे दूसरे विकासशील देशों के मुकाबले एक एफडीआई गंतव्य के तौर पर भारत के आकर्षण को घटा सकती है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि, भारत की एक बड़ी युवा और शिक्षित वर्कफोर्स, छोटे परिवारों की बढ़ती संख्या और शहरीकरण से आवास, सीमेंट एवं नई कारों के लिए मांग बढ़ेगी. इसके अलावा ढांचागत क्षेत्र पर सरकारी खर्च बढ़ने से स्टील और सीमेंट कारोबार और नेट-जीरो उत्सर्जन से रिन्यूएबल एनर्जी में निवेश बढ़ेगा.
रिपोर्ट के मुताबिक, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर 3 से 12 फीसदी के दर से प्रगति करेगी. इसके बावजूद भारत की क्षमता वर्ष 2030 तक चीन से पीछे ही रहेगी. मूडीज ने कहा कि क्षेत्रीय व्यापार समझौतों को लेकर भारत के सीमित उदार रवैये का भी विदेशी निवेश आकर्षित करने पर असर पड़ेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भ्रष्टाचार पर नकेल कसने, आर्थिक गतिविधियों को संगठित करने और टैक्स कलेक्शन और प्रशासनिक सेवा को बेहतर करने के सरकारे के प्रयास उत्साहजनक हैं लेकिन इन कोशिशों की प्रभाव को लेकर जोखिम भी बढ़े हैं.
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