अब डेलॉयट ने जताया भारतीय अर्थव्यवस्था पर भरोसा, बताया ग्रोथ का ऐसा अनुमान जो करेगा खुश
India GDP: आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के अपने विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.6 परसेंट कर दिया था. जून में आरबीआई ने विकास दर 7.2 परसेंट रहने का अनुमान लगाया था और अब डेलॉयट का अनुमान भी आ गया है.
India GDP: भारतीय अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष में 6.5 से 6.8 परसेंट की दर से बढ़ेगी, जबकि अगले वित्त वर्ष (2025-26) में जीडीपी की विकास दर कुछ ज्यादा यानी 6.7 से 7.3 परसेंट के बीच रहेगी. डेलॉयट इंडिया ने यह अनुमान लगाया है. डेलॉयट ने कहा कि सरकार की तरफ से लगातार बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटलीकरण पर ध्यान देने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को आकर्षित करने के उपायों से कुल दक्षता में सुधार होगा जिससे विकास को बढ़ावा मिलेगा.
इस महीने की शुरुआत में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने चालू वित्त वर्ष के अपने विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.6 परसेंट कर दिया था. जून में आरबीआई ने विकास दर 7.2 परसेंट रहने का अनुमान लगाया था.
डेलॉयट इंडिया का क्या है कहना?
डेलॉयट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 की पहली छमाही में विकास दर अनुमान से कम रही है क्योंकि चुनाव को लेकर अनिश्चितताओं के बाद भारी बारिश और जियो-पॉलिटिकल घटनाक्रमों से घरेलू मांग और निर्यात पर असर देखा गया था. रुमकी मजूमदार ने कहा कि हम सतर्क के साथ आशावादी बने हुए हैं और उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.5 से 6.8 परसेंट के बीच रहेगी. अगले वित्त वर्ष में यह 6.7 से 7.3 परसेंट के बीच रहेगी.’’
भारत की मजबूत स्थिति स्पष्ट
डेलॉयट ने कहा कि हाई वैल्यू वाले सेगमेंट मसलन इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर और रसायन जैसे क्षेत्रों में मैन्यूफैक्चरिंग एक्सपोर्ट और ग्लोबल वैल्यू चेन में भारत की बढ़ती मजबूत स्थिति को दिखाता है. उन्होंने कहा हालांकि कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत काफी जुझारू क्षमता दिखा रहा है. इनमें खपत का रुख या सर्विसेज की बढ़ोतरी, निर्यात में हाई वैल्यू वाले मैन्यूफैक्चरिंग की बढ़ती हिस्सेदारी और कैपिटल मार्केट शामिल हैं.
इस बीच रिटेल और घरेलू संस्थागत निवेशकों की बढ़ती भागीदारी के चलते स्थानीय बाजारों में स्थिरता देखने को मिली है. हालांकि, पिछले ढाई महीने में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने भारतीय शेयर बाजारों में जबर्दस्त बिकवाली की है.
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