India GDP Growth Rate Data: भारत के विकास की रफ्तार थोड़ी सुस्त जरूर है, लेकिन यह पस्त नहीं है. देश आगे भी कम से कम 6.6 फीसदी की दर से विकास करता रहेगा. संयुक्त राष्ट्रसंघ की ताजा रिपोर्ट तो यही कहती है. हाल ही में जारी विश्व आर्थिक स्थिति और संभावनाएं रिपोर्ट का सार यही है कि भारत के विकास की दिशा में आगे बढ़ने में ज्यादा बाधा नहीं है. लेकिन यह मुख्य रूप से निजी खपत और निवेश पर आधारित होगा. इस तरह रिपोर्ट में यह साफ कर दिया गया है कि आम आदमी कितना ज्यादा खर्च करता है, इसी पर देश की तरक्की की रफ्तार निर्भर करेगी. यानी आप बाजार में अपनी जेब जितनी अधिक ढीली करेंगे और घर के खर्च में जितनी ज्यादा मुट्ठी खोलेंगे, उतना ही देश विकास करेगा. इसके साथ ही विकास के लिए निवेश की शर्त भी जोड़ दी गई है. यानी निजी खपत के अलावा देश में निवेश होना भी जरूरी है. जाहिर है कि निवेश के मोर्चे पर मजबूती घरेलू और विदेशी दोनों स्तर पर चाहिए.


चीन कमजोर हो रहा है, नहीं चूके भारत


रिपोर्ट में साफ इशारा किया गया है कि घरेलू कारणों से चीन आर्थिक मोर्चे पर कमजोर हो रहा है. चीन में घरेलू खपत में कमी आ गई है. रियल एस्टेट मंदी का शिकार है और युद्ध के कारण बाकी प्रॉडक्ट की मांग में कमी से भी चीन जूझ रहा है. इसका फायदा उठाने के लिए भारत को सर्विस सेक्टर में निर्यात बढ़ाने की जरूरत है. मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में भी अधिक से अधिक निर्यात को बढ़ावा देना चाहिए.


 ग्लोबल विकास दर 2.8 फीसदी रहेगी 


रिपोर्ट में कहा गया कि भारत की इकोनॉमी भले ही 2025 में 6.6 फीसदी की दर से विकास करेगी, लेकिन दुनिया की विकास दर 2.8 फीसदी ही रहेगी. दुनिया में युद्ध के कारण भी इकोनॉमी में नरमी के हालात बने हैं. कई देशों में लोन काफी बढ़ गए हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा है कि देश इन खतरों को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं.


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