रोजगार के मामले में पिछले कुछ साल भारत के लिए शानदार साबित हुए हैं. एक ताजी रिसर्च रिपोर्ट बताती है कि पिछले कुछ वित्त वर्ष से हर साल देश में एक-एक करोड़ से ज्यादा लोगों को रोजगार के मौके मिल रहे हैं. मजेदार है कि लोगों को रोजगार देने के मामले में सबसे आगे राज्य सरकारें हैं.


क्या कहते हैं ईपीएफओ के आंकड़े


एसबीआई रिसर्च ने ईपीएफओ और एनपीएस के आंकड़ों का विश्लेषण कर इस रिसर्च रिपोर्ट को तैयार किया है. रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त् वर्ष 2022-23 के दौरान ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की संख्या में 4.86 करोड़ की शुद्ध बढ़ोतरी हुई. चालू वित्त वर्ष में भी शानदार ट्रेंड बरकरार है. चालू वित्त वर्ष के दौरान पहले 3 महीने में ही ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स की संख्या शुद्ध आधार पर 44 लाख बढ़ चुकी है.


पहली बार नौकरी पाने वालों की बहार


एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के दौरान एक और अच्छा ट्रेंड यह देखने को मिल रहा है कि पहली बार नौकरी पाने वाले लोगों की संख्या अच्छी-खासी है. रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान यानी अप्रैल-जून 2023 के तीन महीनों में 19.2 लाख ऐसे लोगों को नौकरियां मिलीं, जिन्होंने पहले काम नहीं किया था.


इस साल बन सकता है नया रिकॉर्ड


अगर यह ट्रेंड बरकरार रहा तो चालू वित्त वर्ष के दौरान एक शानदार रिकॉर्ड सेट हो सकता है. एसबीआई रिसर्च को उम्मीद है कि यह ट्रेंड बरकरार रहने पर चालू वित्त वर्ष के दौरान 1.6 करोड़ लोगों को नौकरियां मिल सकती हैं, जो अभी तक किसी भी एक वित्त वर्ष के दौरान रोजगार का सबसे ज्यादा सृजन होगा. उनमें पहली बार नौकरी पाने वालों की संख्या भी रिकॉर्ड 70-80 लाख के रेंज में रह सकती है. यह भी एक नया रिकॉर्ड होगा.


एनपीएस से मिला ये आंकड़ा


रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि पिछले 4 साल के दौरान एनपीएस के नए सब्सक्राइबर की संख्या में करीब 31 लाख का इजाफा हुआ है. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान एनपीएस से 8.24 लाख सब्सक्राइबर जुड़े. उनमें सबसे ज्यादा 4.64 लाख का योगदान राज्य सरकारों ने दिया. राज्य सरकारों के बाद 2.30 लाख के साथ गैर-सरकारी नौकरियों का नंबर रहा, जबकि सेंट्रल गवर्नमेंट ने 1.29 लाख नए सब्सक्राइबर का योगदान दिया.


महिलाओं की इतनी हुई हिस्सेदारी


इस तरह देखें तो ईपीएफओ और एनपीएस के आंकड़ों को मिलाकर पिछले चार साल के दौरान कुल 5.2 करोड़ रोजगार के मौकों का आंकड़ा. मिलता है. ईपीएफओ के आंकड़े इस बात का भी इशारा कर रहे हैं कि अब दोबारा या फिर से ज्वॉइन करने वालों की संख्सा कम हो रही है. इसका मतलब हुआ कि अब लोग नौकरियां कम बदल रहे हैं और मौजूदा काम को अधिक समय तक करना पसंद कर रहे हैं. ईपीएफओ के सब्सक्राइबर्स में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर करीब 27 फीसदी हो गई है.


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