सरकार टैक्स लगाने के अपने सॉवरेन अधिकारों को पुष्ट करने के लिए जल्द ही केयर्न एनर्जी मामले में आर्बिट्रेशन अदालत के फैसले को चुनौती देगी. केयर्न एनर्जी के सीईओ सिमोन थॉमसन ने एक दिन पहले ही वित्त मंत्रालय के सीनियर अफसरों से मुलाकात कर 1.2 अरब डॉलर के मध्यस्थता फैसले पर जल्द लागू करने का अनुरोध किया था.
'मौजूदा कानून के तहत ही निपटाया जाएगा केयर्न विवाद'
सूत्रों ने कहा कि सरकार केयर्न एनर्जी की ओर से अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय अदालतों में दायर याचिकाओं को भी मजबूती से चुनौती देगी. केयर्न ने पिछले साल 21 दिसंबर को आया आदेश लागू कराने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और नीदरलैंड में याचिका दायर की है. इस बीच, सरकार ने मामला निपटाने के लिए बातचीत करने के केयर्न के कदम का स्वागत किया है. लेकिन केयर्न जो भी विवाद निपटाने के लिए कहेगी, उन्हें पहले से मौजूद कानूनों के तहत ही निपटाया जाएगा. केयर्न ने टैक्स से बचने के लिए ऐसी जगहों से सौदे किए, जो टैक्स बचाने के लिए मुफीद हैं. भारत के पास आर्बिट्रेशन फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 21 मार्च तक का वक्त है.
भारत सरकार की संपत्तियां जब्त करने की धमकी
कंपनी ने पिछले महीने केंद्र को भेजे पत्र में कहा था अगर भारत फैसले के मुताबिक रकम नहीं देता है तो भारत सरकार की संपत्तियां जब्त कर ली जाएंगीं. डेनमार्क की एक निचली अदालत ने केयर्न को यह फैसला लागू कराने का आदेश दिया है. इसके बाद ब्रिटेन की यह कंपनी भारत की ऐसी वाणिज्यिक संपत्तियों को चिह्नित कर सकती है, जिन्हें जब्त किया जा सकता है.
दरअसल यह मामला केयर्न की ओर से 2006-07 में अपनी भारतीय इकाई के जरिये कैपिटल गेन अर्जित करने और उस पर सरकार की ओर से 24,500 करोड़ रुपये कर मांगे जाने से जुड़ा है. उसमें डिविडेंड की वापसी और सरकार की ओर से वसूले गए टैक्स की की वापसी के साथ ही उन शेयरों की वापसी भी है, जो टैक्स विभाग ने टैक्स वसूलने के लिए बेच दिए थे. मध्यस्थता अदालत में सुनवाई के दौरान भारत ने दलील दी थी कि कर अनुपालन नहीं करने का मामला अंतरराष्ट्रीय संधियों के दायरे में नहीं आता है.
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