Steel Import: चीन पर स्टील को लेकर बढ़ी भारत की निर्भरता, सस्ते आयात को लेकर देसी कंपनियां परेशान
India Steel Import from China: चीन से भारत लगातार तैयार स्टील का आयात कर रहा है. इसमें लगातार बढ़ोतरी होती जा रही है. सस्ते आयात ने देश में इस्पात निर्माण कंपनियों की नींद उड़ा दी है.
India Steel Import: स्टील को लेकर चीन पर भारत की निर्भरता बढ़ती ही जा रही है. चालू वित्त वर्ष के पहले आठ महीनों (मार्च 2025 तक) में चीन से भारत में स्टील का आयात अपने रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. सरकारी आंकड़ों में इसका खुलासा हुआ है. चीन से सस्ते स्टील के आयात ने देश की इस्पात कंपनियों की परेशानी बढ़ा दी है.
चीन से तैयार स्टील का भारत में आयात
चीन से भारत में तैयार स्टील का आयात आठ साल के ऊंचे स्तर पर पहुंच गया है. वर्तमान समय में भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक है, जबकि बावजूद इसके बीते आठ सालों में भारत स्टील का शुद्ध आयातक रहा. आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने 6.5 मिलियन मीट्रिक टन तैयार स्टील का आयात किया, जो साल-दर-साल 26.6 फीसदी की बढ़त को दिखाता है.
भारत को लगातार तैयार स्टील भेज रहा चीन
आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-नवंबर के दौरान चीन ने भारत को 1.96 मिलियन मीट्रिक टन स्टील भेजा, जो पिछले साल की तुलना में 22.8 फीसदी अधिक है. खासतौर पर बीजिंग से स्टेनलेस स्टील, हॉट-रोल्ड कॉइल, प्लेट्स, इलेक्ट्रिकल शीट्स, गैल्वनाइज्ड प्लेन या कोरुगेटेड शीट्स, पाइप्स, बार्स और रॉड्स तथा अन्य ग्रेड्स का निर्यात किया गया.
जापान से भी स्टील मंगा रहा भारत
आंकड़ों से पता चलता है कि जापान से तैयार इस्पात का आयात भी अप्रैल-नवंबर के दौरान कम से कम छह साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया. यह दोगुना से अधिक होकर 1.4 मिलियन मीट्रिक टन हो गया. इस अवधि में चीन, जापान और दक्षिण कोरिया से भारत में कुल तैयार इस्पात आयात का योगदान 79 फीसदी रहा.
इस दौरान सबसे अधिक हॉट-रोल्ड कॉइल का आयात किया गया, जबकि नॉन-फ्लैट कैटेगरी के आयात बार और रॉड सबसे ऊपर रहा. स्टील के बेलगाम आयात को रोकने के लिए नई दिल्ली ने एक जांच शुरू की कि इसके आयात पर अस्थायी कर के रूप में 25 फीसदी तक सुरक्षा शुल्क लगाया जाए या नहीं. मार्च 2024 में समाप्त वित्तीय वर्ष में भारत शुद्ध इस्पात का आयातक बना और तब से आयात में लगातार वृद्धि जारी है.
अन्य देशों के मुकाबले भारत में इस्पात की मांग अधिक है, जिसका श्रेय मजबूत आर्थिक विकास और नई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को जाता है.
ये भी पढ़ें: