Debt To GDP Ratio: भारत भी अब कर्ज के जाल में फंसता जा रहा है. इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड की मानें तो 2022 के आखिर तक भारत के कर्ज का अनुपात जीडीपी 84 फीसदी रहने का अनुमान है जो फिलहाल 69.62 फीसदी है. आईएमएफ का कहना है कि दुनिया की जितनी भी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं उनके मुकाबले भारत का जीडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात बहुत ज्यादा है. 


रोजकोषीय घाटे को लेकर स्पष्ट नीति जरुरी
आईएमएफ ने जीडीपी के मुकाबले कर्ज का अनुपात बढ़ने की बात कही है साथ ही उसका ये भी मानना है कि इस कर्ज के भार को वहन करने में कोई मुश्किल नहीं आएगी. आईएमएफ के वित्तीय मामलों के विभाग के उप निदेशक पाओलो मौरो (Paolo Mauro)  ने कहा कि रोजकोषीय घाटे को लेकर मध्यम अवधि में स्पष्ट नीति रखना भारत के लिए बेहद जरुरी है. उन्होंने कहा कि भारत को लोगों और निवेशकों को आश्वस्त करनाहोगा कि चीजें नियंत्रण में है, और चीजें समय के साथ कम चिंताजनक होती जाएगी. 


कर्ज का बोझ, पर बेहतर कर रहा भारत
आईएमएफ के एशिया प्रशांत क्षेत्र के निदेशक कृष्ण श्रीनिवासन ने कहा कि, सभी देशों के आर्थिक विकास में गिरावट आ रही है पर भारत बेहतर कर रहा है. उन्होंने कहा कि कर्ज अनुपात 2022 के अंत में सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 84 फीसदी रह सकता है. यह दुनिया की कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में ज्यादा है. उन्होंने कहा कि जब कई देशों की आर्थिक विकास की रफ्तार धीमी हो रही है भारत इससे अप्रभावित नहीं है लेकिन दूसरे के मुकाबले बेहतर कर रहा है.  


इन देशों पर कर्ज का बोझ 
आपको बता दें जापान का कर्ज अनुपात सकल घरेलू उत्पाद का 237 फीसदी है, तो इटली का 135 फीसदी, सिंगापुर का 126 फीसदी, अमेरिका का 107 फीसदी, फ्रांस का 98.10 फीसदी, यूके का 80.70 फीसदी जबकि भारत का 69.62 फीसदी है. पाकिस्तान का 84.80 फीसदी है. 


कर्ज के बोझ से निपटने की दरकार 
आईएमएफ के मुताबिक हर वर्ष जीडीपी का 15 फीसदी कर्ज लेना पड़ता है. इसलिए कर्ज लेने की रफ्तार पर निगाह रखना बेहद जरुरी है और इसलिए वित्तीय घाटे का ध्यान रखना बेहद जरुरी है जो अभी जीडीपी का 10 फीसदी है. पर भारत के लिए बेहतर हालात ये कि परंपरागत रूप से यहां आर्थिक विकास की रफ्तार बेहतर रही है. 


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