Recession News: विश्व के कई देशों में इस समय आर्थिक मंदी का खतरा जताया जा रहा है और इसके संकेत नजर आने लगे हैं. अमेरिका ने भी मंदी की आशंका जताई है और वहां महंगाई, बेरोजगारी के आंकड़े इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि मंदी का साया यूएस पर छा सकता है. ब्रिटेन में भी अर्थव्यवस्था को लेकर चिंताएं हैं और ये हाल ही में विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से छठे स्थान पर खिसक गया. ऐसे में क्या भारत पर भी मंदी का खतरा है इसको लेकर केंद्रीय वित्त मंत्री के बयान से कुछ राहत मिल सकती है. 


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंदी के खतरे से किया इनकार
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में बढ़ोतरी के दहाई अंकों में बने रहने की उम्मीद जताते हुए कहा कि अन्य देशों की तुलना में भारत मजबूत स्थिति में है और जरूरतमंद वर्गों को मदद देने के लिहाज से जिम्मेदार भी है. निर्मला सीतारमण ने जीडीपी वृद्धि को लेकर सकारात्मक रुख दर्शाया. इस दौरान उन्होंने उन खबरों का हवाला भी दिया जिनमें कहा गया था कि देश में मंदी का खतरा नहीं है. 


जीडीपी के दस फीसदी या इससे ज्यादा की दर से बढ़ने की उम्मीद
सीतारमण ने इस वर्ष जीडीपी वृद्धि के दहाई अंकों में रहने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर कहा, "मुझे ऐसा होने की उम्मीद है. हम इसके लिए काम करेंगे. यदि आप मंदी की कगार पर नहीं खड़े हैं तो इससे भरोसा मिलता है. जरूरतमंद वर्गों की मदद करने और अर्थव्यवस्था को गति देने के लिहाज से आप लगातार कदम उठा रहे हैं." कुछ दिन पहले जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था 13.5 फीसदी की दर से बढ़ी है.


अन्य इकोनॉमी की तुलना में भारत बेहतर स्थिति में है- निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री ने कहा कि कुछ लोग इस उच्च वृद्धि के लिए पिछले साल के निम्न आधार को जिम्मेदार बताने की कोशिश करेंगे. उन्होंने कहा, "हम जिन अर्थव्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं उनकी तुलना में हम मजबूत स्थिति में हैं. हम वास्तव में सबसे तेजी से वृद्धि करती हुई अर्थव्यवस्था हैं." उन्होंने विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि भारत से कहीं अधिक विकसित मानी जाने वाली अर्थव्यवस्थाएं इस समय मंदी की कगार पर हैं.


सरकारों द्वारा फ्री बांटने के चलन पर वित्त मंत्री ने ये कहा
सरकारों की तरफ से बांटे जाने वाले फ्री उपहारों से जुड़े एक सवाल पर सीतारमण ने कहा, "हमें इस चर्चा में हिस्सा जरूर लेना चाहिए क्योंकि अगर आप किसी को कुछ नि:शुल्क दे रहे हैं तो इसका मतलब है कि उसका बोझ कोई और उठा रहा है." उन्होंने सुझाव दिया कि सत्ता में आने वाली किसी भी सरकार को अपनी वित्तीय स्थिति का आकलन करने के बाद फ्री उपहारों के लिए वित्तीय प्रावधान करना चाहिए.


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