अपना खुद का ब्राउजर बनाने पर भारत तेजी से कर रहा काम, अब कोई नहीं चुरा पाएगा डेटा
India Own Browser: भारत अपना खुद का वेब ब्राउजर बनाने पर जोर दे रही है, जिसके कई फायदे हैं. एक तो इससे देश की डेटा देश में ही बनी रहेगी. डेटा लीक होने का कोई खतरा पैदा नहीं होगा.

India Own Browser: माइक्रासॉफ्ट, गूगल क्रॉम और मोजिला फायरफॉक्स जैसे वेब ब्राउजर्स की मदद से हम अपनी पसंदीदा इंटरनेट साइट्स पर पहुंचते हैं. इन ब्राउजर्स का इस्तेमाल पूरी दुनिया में होता है और अब इन्हें टक्कर देने के लिए भारत अपना ब्राउजर बना सकता है. अगर भारत अपना स्वदेशी ब्राउजर बनाने में कामयाब हो जाती है, तो इससे माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों को बड़ा झटका लग सकता है.
भारत सरकार देश की आईटी कंपनियों को अपना ब्राउजर बनाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है. इसके लिए सरकार ने एक वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज कंप्टीशन का आयोजन किया था. इसमें शामिल होने के लिए देश भर की तमाम आईटी कंपनियों, इनोवेटर्स और डेवलपर्स को आमंत्रित किया गया था. इस कंप्टीशन में कुल 58 एंट्रीज हुईं, जिनमें से तीन विनर्स चुने गए. केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने विजेताओं के नामों की घोषणा की. केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि विजेताओं का चयन टियर-2 और टियर-3 शहरों से हुआ.
ये तीन चुने गए विजेता
इसमें पहला स्थान Zoho ने हासिल किया. इसके लिए जोहो को पुरस्कार स्वरूप एक करोड़ रुपये की राशि दी गई है. दूसरा स्थान Ping ने हासिल किया है, जिसे 75 लाख रुपए की इनामी राशि दी गई है. तीसरा स्थान Ajna ने हासिल किया है, जिसे पुरस्कार के रूप में 50 लाख रुपये मिले. इस दौरान अश्विनी वैष्णव ने कहा, भारत का आईटी सेक्टर का रेवेन्यू 282 बिलियन डॉलर से ज्यादा का है.
हालांकि, अब तक फोकस सिर्फ सर्विसेज पर ही था, लेकिन अब सरकार सॉफ्टवेयर प्रोडक्ट डेवलप करने पर ध्यान दे रही है और इसके लिए स्टार्टअप्स और शिक्षाविदों को बढ़ावा दिया जा रहा है ताकि देश का अपना ब्राउजर बनकर तैयार हो, जो डाटा सुरक्षा और गोपनीयता के मानकों का भी पालन करे.
लोकल ब्राउजर होने के कई फायदे
देश का खुद का ब्राउजर होगा, तो इसके फायदे भी कई हैं. एक तो इससे डेटा सिक्योरिटी बनी रही. देश की डेटा देश में ही बनी रहेगी. डेटा लीक होने का कोई खतरा नहीं है. सरकार की इस पर लगातार नजर बनी रहेगी. यह iOS, Windows और Android सभी पर काम करेगा. इसी के साथ भारत को एक 'प्रोडक्ट नेशन' बनाने के सरकार के लक्ष्य को भी हासिल करने में मदद मिलेगी.
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