Remittance Flow: वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत पहला देश होगा, जहां इस साल माइग्रेंट वर्कर्स विदेश से 100 अरब डॉलर भेजेंगे. भारत को 2021 में Remittance यानी विदेश में काम करने वाले कर्मचारियों की ओर से 89.4 अरब डॉलर मिले थे. वर्ल्ड बैंक के मुताबिक वेतन में बढ़ोतरी, अमेरिका में मजबूत लेबर मार्केट के कारण भारत में Remittance flow बढ़ा है. वर्ल्ड बैंक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में रेमिटेंस फ्लो इस साल 12 फीसदी बढ़कर 100 अरब डॉलर पहुंच जाएगा. इसकी वजह से भारत Remittance के मामले में मैक्सिको, चीन और फिलीपींस से आगे है.


रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च कौशल वाले इंडियन माइग्रेंट्स अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे अमीर देशों में रह रहे हैं और वह घर पर ज्यादा धन भेज रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक लो और मिडिल इनकम वाले देशों में 2022 में रेमिटेंस 5 प्रतिशत बढ़ा है और यह करीब 626 अरब डॉलर हो गया है. यह बढ़ोतरी 2021 में हुई वृद्धि की आधी है. भारत के अलावा रेमिटेंस पाने वाले प्रमुख देशों में मैक्सिको, चीन, मिस्र और फिलीपींस शामिल हैं.


पड़ोसी देशों में कम आएगा धन


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे देश घरेलू और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से जूझ रहे हैं और 2022 में उनका रेमिटेंस कम होगा. भारत और नेपाल को छोड़ दें तो दक्षिण एशिया के अन्य देशों में 2021 में विदेश से धन 10 प्रतिशत कम आया था.


भारत की अर्थव्यवस्था पर क्या होगा असर


भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में रेमिटेंस की हिस्सेदारी करीब 3 प्रतिशत है. यह राजकोषीय अंतर कम करने के हिसाब से भी अहम होता है. साथ ही रेमिटेंस से विदेशी मुद्रा आती है, जो भारतीय रुपये को मजबूती प्रदान करती है. पिछले एक साल के दौरान रुपये को संभालने के लिए रिजर्व बैंक को बड़ी मात्रा में खुले बाजार में डॉलर बेचने पड़े हैं, जिससे भारत का विदेशी मुद्रा भंडार गिरा है अगर विदेश में कमाने वाले मजदूर भारत में ज्यादा धन भेजते हैं तो इससे भारत की विदेशी मुद्रा में बढ़ोतरी होगी और रुपये में मजबूती आएगी.


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