विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में भारत विश्व का चौथा सबसे बड़ा देश बना, रूस को पछाड़ा
भारत रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में विश्व में चौथे पायदान पर आ गया है. यह भंडार लगभग 18 महीनों के आयात को कवर करने के लिए काफी है. 5 मार्च तक भारत की विदेशी मुद्रा भंडार 580.3 बिलियन डॉलर हो गई है.
नई दिल्लीः भारत ने रूस को पीछे छोड़ते हुए विदेशी मुद्रा भंडार के मामले में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश बन गया है. दक्षिण एशियाई राष्ट्र के केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था को अचानक होने वाले किसी भी नुकसान से बचाने के लिए डॉलर जमा करना जारी रखा है. हालांकि दोनों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ महीनों की वृद्धि के बाद इस साल ज्यादातर गिरावट दर्ज हुआ है। हाल के सप्ताहों में रूस के विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी से गिरावट आने के बाद भारत उससे आगे निकल गया.
5 मार्च तक भारत की विदेशी मुद्रा भंडार 580.3 बिलियन डॉलर हो गई. भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को कहा कि रूस के पास 580.1 बिलियन का विदेशी मुद्रा भंडार है. वहीं, चीन के पास सबसे बड़ा भंडार है, जिसके बाद जापान और स्विटजरलैंड अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की मेज पर हैं. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 18 महीनों के आयात को कवर कर सकता है.
विश्लेषकों का कहना है कि विदेशी मुद्रा भंडार की मजबूत स्थिति विदेशी निवेशकों और क्रेडिट रेटिंग कंपनियों को यह दिलासा देती है कि सरकार बिगड़ते राजकोषीय घाटे और चार दशक में पहली बार इतनी संकुचित हुई अर्थव्यवस्था के बावजूद अपने ऋण दायित्वों को पूरा कर सकती है. ड्यूक बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, "भारत के विभिन्न भंडार में पिछले कुछ वर्षों में काफी सुधार हुआ है. आगे की अवधि में किसी भी संभावित बाहरी सदमे से निपटने में आरबीआई को विदेशी मुद्रा भंडार से काफी मदद मिलेगी."
आरबीआई पिछले साल फॉरेक्स मार्केट से 88 बिलियन डॉलर लाया था. इसने पिछले साल एशिया की प्रमुख मुद्राओं के बीच रुपए की सबसे खराब प्रदर्शन को रोकने में मदद की और भारत को अमेरिकी ट्रेजरी वॉचलिस्ट पर जगह दी. सोमवार को रुपया 0.1 फीसदी मजबूत होकर 72.71 प्रति डॉलर पर पहुंच गया. हाल ही में आई आरबीआई की एक रिपोर्ट में विदेशी मुद्रा भंडार को और मजबूत करने की सिफारिश की गई है. गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि उभरते बाजार को देखते हुए केंद्रीय बैंकों को किसी भी बाहरी झटके से रोकने के लिए विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ाने की जरूरत है.
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