(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Sugar Export Ban: चीनी के एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है सरकार, जानिए कब तक और क्यों हो सकता है फैसला
Sugar Export Ban: अक्टूबर से नए चीनी सीजन की शुरुआत होने वाली है और भारत सरकार इस दौरान एक ऐसा फैसला ले सकती है जो कि चीनी के दामों को काबू में रखने के लिए हो सकता है.
Sugar Export Ban: भारत सरकार आने वाले सीजन के दौरान चीनी के एक्सपोर्ट पर बैन लगा सकती है. 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले चीनी सीजन के दौरान चीनी के एक्सपोर्ट पर बैन लगाया जा सकता है. देश में चीनी के दाम लगातार बढ़ रहे हैं और इसे देखते हुए नवंबर के पहले हफ्ते के दौरान शुगर एक्सपोर्ट पर बैन का नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा, ऐसी उम्मीद है.
किसके मुताबिक आई है खबर
मनीकंट्रोल की खबर के मुताबिक 28 सितंबर को इस बात की जानकारी एक अधिकारी ने वित्तीय पोर्टल को दी है. चीनी सीजन की शुरुआत अक्टूबर से होती है और अगले साल सितंबर के आखिर में ये खत्म हो जाता है.
चीनी के दाम काबू में रखना सरकार की प्राथमिकता
साल 2021-22 में रिकॉर्ड 11 मिलियन टन चीनी बेचने के बाद भारत ने साल 2022-23 में चीनी के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाई जिससे कि देश में घरेलू बाजार में चीनी की सप्लाई बिना बाधा के रहे और कीमतों पर नियंत्रण लगाया जा सके. साल 2022-23 के चीनी वर्ष की शुरुआत में केंद्र सरकार ने चीनी का एक्सपोर्ट करीब 6 मिलियन टन तक बाधित कर दिया था. एक अधिकारी ने मनीकंट्रोल को दी गई जानकारी में कहा है कि सरकार की मुख्य प्राथमिकता चीनी के दामों को नियंत्रण में रखने का है और इसीलिए बढ़ती कीमतों को देखते हुए इस एक्सपोर्ट के कोटा में और भी बदलाव किए जा रहे हैं.
महाराष्ट्र-कर्नाटक में गिरा है चीनी का प्रोडक्शन
देश के टॉप के गन्ना उत्पादक राज्यों जैसे पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र और दक्षिण के कर्नाटक में इस साल सामान्य से कम बारिश के कारण चीनी सीजन में कम उत्पादन रहा है. अगस्त तक के चीनी उत्पादन के आकड़ें देखें तो चीनी के औसत उत्पादन से इस साल 50 फीसदी कम प्रोडक्शन देखा गया है. ऐसा इसीलिए हुआ है क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक ये दोनों राज्य भारत के कुल चीनी आउटपुट का आधे से ज्यादा हिस्सा उत्पादित करते हैं.
मानसून की स्थिति में सुधार
हालांकि देश में जाते हुए मानसून के समय बारिश की स्थिति अच्छी देखी गई है और इसी का असर है कि 31 अगस्त को जो चीनी उत्पादन में 10 फीसदी की कमी थी वो 25 सितंबर तक सुधरकर केवल 5 फीसदी तक रह गई. फिर भी ये माना जा सकता है कि देश में चीनी के उत्पादन में गिरावट की स्थिति का डर बरकरार रहेगा.
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