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Manufacturing PMI: जून में सुधरा भारत का विनिर्माण क्षेत्र, दो दशक में सबसे तेज रही नौकरियां मिलने की रफ्तार
India Manufacturing Sector: जून महीने के दौरान विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी का दौर बरकरार रहा. मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई का आंकड़ा अनुमान से कम रहने के बाद भी एक महीने की तुलना में पहले बहुत अच्छा रहा...
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देश के विनिर्माण क्षेत्र के लिए जून का महीना शानदार साबित हुआ. बीते महीने के दौरान विनिर्माण क्षेत्र में करीब दो दशक की सबसे तेज वृद्धि दर्ज की गई. उसके दम पर विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में भी तेजी आई. एक ताजे सर्वे में इन बातों की जानकारी मिली है.
जून महीने में भारत का विनिर्माण क्षेत्र
एसएंडपी ग्लोबल के द्वारा जारी एचएसबीसी फाइनल इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून महीने में बढ़कर 58.3 पर पहुंच गया. पहले यह आंकड़ा 58.5 पर रहने का अनुमान था. आंकड़ा भले ही अनुमान से कुछ कम रहा है, लेकिन एक महीने पहले की तुलना में काफी सुधरा हुआ है. एक महीने पहले यानी मई 2024 में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 57.5 पर रहा था.
ऐसे हालात बताता है पीएमआई इंडेक्स
पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स के आंकड़े को आर्थिक लिहाज से महत्वपूर्ण इंडिकेटर माना जाता है. एसएंडपी ग्लोबल के द्वारा भारत समेत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मैन्युफैक्चरिंग व सर्विस सेक्टर की स्थिति बताने के लिए इंडेक्स तैयार किया जाता है. अगर किसी महीने पीएमआई का आंकड़ा 50 से कम रहता है तो माना जाता है गतिविधियों में गिरावट आई है. वहीं इंडेक्स 50 से ज्यादा रहने पर गतिविधियों में तेजी का पता चलता है.
आने वाले महीनों को लेकर आशंकाएं
एचएसबीसी की ग्लोबल इकोनॉमिस्ट मैत्रेयी दास का कहना है कि जून महीने में भारत के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में तेजी आई है. भारत का विनिर्माण क्षेत्र पूरी जून तिमाही के हिसाब से भी सकारात्मक रहा है. हालांकि आने वाले महीनों को लेकर स्थिति कुछ खराब लग रही है. बकौल दास, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का ओवरऑल आउटलुक भले ही सकारात्मक बना हुआ है, लेकिन फ्यूचर आउटपुट इंडेक्स तीन महीने के निचले स्तर पर है. हालांकि राहत की बात ये है कि फ्यूचर आउटपुट इंडेक्स कम होने के बाद भी ऐतिहासिक औसत से ऊपर ही है.
मजबूत मांग बरकरार रहने से मिली मदद
एचएसबीसी के अनुसार, जून महीने में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत मांग से मदद मिली है. मांग मजबूत रहने से आउटपुट बढ़ा है. वैश्विक मांग जून महीने में कुछ कमी रही, लेकिन लंबी अवधि के औसत से ऊपर ही रही. काम का दबाव बढ़ने से नौकरियों के मोर्चे पर बेहतर आंकड़े आए. लगातार चौथे महीने हायरिंग में तेजी आई. जून महीने में हायरिंग की रफ्तार सर्वे के 19 सालों के अब तक के इतिहास में सबसे तेज रही.
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