Extension of Curbs on Parboiled Rice: चावल के सबसे बड़े निर्यातक भारत के कदम से एशिया समेत पूरी दुनिया में चावल के दामों पर असर पड़ सकता है. घरेलू बाजार में चावल की कीमतों पर लगाम लगाने के लिए मोदी सरकार उबले चावल पर लगने वाले 20 फीसदी निर्यात शुल्क की समय सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार सरकार यह फैसला आने वाले फेस्टिव सीजन और चुनावों को देखते हुए ले सकती है.


गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने जुलाई के अंत में घरेलू बाजार में चावल की कीमतों में इजाफे को देखते हुए उबले चावल के निर्यात पर 20 फीसदी शुल्क लगाने का फैसला किया था. यह फैसला 15 अक्टूबर, 2023 तक लागू है. ऐसे में सरकार को इससे पहले शुल्क को लेकर कोई फैसला लेना है. इकोनॉमिक टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले पर जानकारी देते हुए कुछ अधिकारियों ने कहा कि सरकार निर्यात शुल्क को 40 फीसदी तक बढ़ाने पर विचार नहीं कर रही है, मगर इसे 20 फीसदी तक स्थिर रखा जा सकता है. 


दुनियाभर में बढ़ेंगे चावल के दाम


ध्यान देने वाली बात ये है कि साल 2023 के अंत तक होने वाले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव और साल 2024 में होने वाले आम चुनावों से सरकार की कोशिश है कि वह महंगाई पर लगा लगा सके. ऐसे में चावल की कीमत को कंट्रोल करने के लिए अगर सरकार निर्यात शुल्क को बढ़ाने का फैसला करती है तो इसका असर दुनियाभर पर पड़ेगा. जुलाई में भारत के निर्यात शुल्क लगाने के फैसले के बाद से ही एशियाई बाजारों में चावल की कीमत 15 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी. भारत के निर्यात शुल्क लगाने के अलावा खराब मौसम ने भी इस साल चावल की पैदावार पर असर डाला है.


El Nino के कारण दुनियाभर की पैदावार पर पड़ा है असर


ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक खराब मौसम और El Nino के असर के कारण भारत समेत पूरी दुनिया में चावल की पैदावार पर प्रतिकूल असर डाला है. चावल के बड़े निर्यातक देश इंडोनेशिया ने इस बार सामान्य से कम पैदावार की आशंका जताई है. इसके अलावा वियतनाम ने भी अपने किसानों से पहले चावल के बुआई करने के लिए कहा है.


ग्लोबल सप्लाई पर पड़ेगा असर


अगर भारत फेस्टिव सीजन और चुनावों के मद्देनजर घरेलू कीमतों पर लगाम रखने के लिए निर्यात शुल्क की समय सीमा को आगे बढ़ाता है तो निश्चित तौर पर इसका असर दुनियाभर में चावल की कीमत पर पड़ेगा. उबले हुए चावल की सबसे ज्यादा खपत दक्षिण एशिया और अफ्रीका के देशों में होती है. भारत में हर साल चावल की कई किस्में उगाई जाती है जिसके में उबले हुए चावल का एक बड़ा हिस्सा. देश से होने वाले चावल के निर्यात में से 30 फीसदी उबले हुए चावल की हिस्सेदारी है.


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