CII Report: भारत को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट और कंपोनेंट की मैन्युफैक्चरिंग को लेकर अपनी सोच में बदलाव लाना होगा. भारत को इन प्रोडक्ट और कंपोनेंट को असेंबल करने की बजाय इनकी मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने पर ध्यान देना होगा. कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाकर ही हम दुनिया में अपनी छाप छोड़ पाएंगे. भारत को सिर्फ एक असेंबल करने वाले देश की छवि को मिटाना होगा. इससे न सिर्फ देश को आर्थिक फायदे होंगे बल्कि लाखों नौकरियां भी पैदा होंगी.


लगातार बढ़ रही कंपोनेंट की डिमांड  


सीआईआई की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में 102 अरब डॉलर (8.52 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन को सपोर्ट करने के लिए लगभग 45.5 अरब डॉलर (3.8 लाख करोड़ रुपये) के कंपोनेंट की डिमांड थी. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2030 तक 500 अरब डॉलर (41.78 लाख करोड़ रुपये) मूल्य के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट के प्रोडक्शन को सपोर्ट करने के लिए यह डिमांड बढ़कर 240 अरब डॉलर (20.05 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंचने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पीसीबीए (प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असेंबली) सहित प्रायोरिटी कंपोनेंट की डिमांड 30 फीसदी सालाना की दर से बढ़ने का अनुमान है. इसके चलते यह आंकड़ा साल 2030 तक 139 अरब डॉलर (11.61 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच जाएगा.


ये हैं भारत के लिए 5 हाई प्रायोरिटी कंपोनेंट  


इस रिपोर्ट में बैटरी (लिथियम आयन), कैमरा मॉड्यूल, मैकेनिकल्स, डिस्प्ले और पीसीबी जैसे 5 प्रायोरिटी कंपोनेंट की पहचान की गई है. इन्हें भारत के लिए हाई प्रायोरिटी में रखा गया है. इसमें कहा गया है कि साल 2022 में कंपोनेंट की कुल डिमांड में इनकी हिस्सेदारी 43 फीसदी थी. साल 2030 तक यह बढ़कर 51.6 अरब डॉलर (4.31 लाख करोड़ रुपये) हो जाने की उम्मीद है. इन कंपोनेंट का भारत में या तो नाममात्र प्रोडक्शन होता है या ये इंपोर्ट पर निर्भर होते हैं. भारत इनका घरेलू प्रोडक्शन बढ़ाकर अग्रणी मुल्कों में शामिल हो सकता है. 


2026 तक पैदा हो सकती हैं 2.8 लाख नौकरियां


रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, वियतनाम और मैक्सिको जैसे देश इस सेक्टर में भारत के लिए चुनौतियां पेश कर रहे हैं. भारतीय कंपनियों को इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. भारत सरकार अगर पॉलिसी के जरिए मदद दे तो इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट और कंपोनेंट के प्रोडक्शन में तेज उछाल आ सकता है. इसके चलते देश में 2026 तक लगभग 2.8 लाख नौकरियां पैदा हो सकती हैं. 


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