Petrol Diesel Shortage: घरेलू बाजार में कमी के बाद भारत को करना पड़ा रहा पेट्रोल डीजल इंपोर्ट
Fuel Shortages: पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दामों में आई तेजी के बाद निजी रिफाइनिंग कंपनियां रूस से सस्ते में कच्चे तेल का आयात कर उसकी रिफाइनिंग पेट्रोल डीजल को ऊंचे दामों पर एक्सपोर्ट कर रही हैं.
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Petrol Diesel Import Increases: देश में पेट्रोल डीजल की कमी ने ऐले हालात पैदा कर दिए हैं कि एक दौर में पेट्रोल डीजल के के सबसे बड़े निर्यातक को अपने खपत के लिए पेट्रोल डीजल का अब आयात करना पड़ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जून महीने के पहले पखवाड़े में पेट्रोल का आयात 7 महीने के उच्तचतम स्तरों पर जा पहुंचा है. जून के पहले 15 दिनों में पेट्रोल का आयात 13,000 बैरल प्रति दिन औसतन रहा है. वहीं डीजल का इंपोर्ट फरवरी 2020 के लेवल 48,000 बैरल प्रति दिन के लेवल को भी पार करने वाला है.
दरअसल देश के कई राज्यों में पेट्रोल डीजल की कमी देखने को मिली है खासतौर से गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्यों में. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय बाजार पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स के दामों में आई तेजी के बाद देश की निजी रिफाइनिंग कंपनियां रूस से सस्ते में कच्चे तेल का आयात कर उसकी रिफाइनिंग करने के बाद फाइनल प्रोडक्ट यानि पेट्रोल डीजल को ऊंचे दामों पर एक्सपोर्ट कर रहे हैं. जिसके चलते देश में पेट्रोल डीजल की कमी हो गई है. तो सरकारी तेल कंपनियां घरेलू मांग को पूरा करने के लिए पेट्रोल डीजल का आयात कर रही हैं.
पिछले दिनों देश के कई हिस्से से पेट्रोल डीजल की कमी की बातें सामने आ रही थी. खासतौर से उत्तराखंड, झारखंड, राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में पेट्रोल पंपों पर ईंधन की कमी की खबरें आ रही थी. हालांकि सरकार ने सफाई देते हुए 15 जून, 2022 को कहा था देश में पेट्रोल और डीजल की कोई कमी नहीं है. और पेट्रोल डीजल का देश में जितना प्रोडक्शन, मांग में किसी भी तेज उछाल को पूरा करने के लिए वो पर्याप्त है. पेट्रोलियम मंत्रालय ने कहा था कि पिछले वर्ष की तुलना में जून 2022 की पहली छमाही के दौरान 50% तक पेट्रोल डीजल की मांग बढ़ी है. खासकर राजस्थान, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में ज्यादा मांग देखने को मिली है. पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक मांग में पेट्रोल डीजल की मांग में बढ़ोतरी कृषि गतिविधियों के कारण आई है. तो थोक पेट्रोल डीजल के खरीदार अब रिटेल पेट्रोल पंप से खरीदारी कर रहे हैं इसके चलते भी दिक्कतें बढ़ी हैं. प्राइवेट मार्केटिंग कंपनियों ने सेल्स घटा दी है जिससे इसका भार सरकारी कंपनियों पर आ गया है.
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