अमेरिका और रूस की रंजिश में भारत की स्थिति गंभीर हो रही है. खासतौर से जब बात तेल और गैस के आयात की हो. सोमवार को क्रूड ऑयल की कीमतों में हल्की तेजी देखी गई, जो भारत पर खर्चे का भार और ज्यादा बढ़ा सकता है. दरअसल, भारत में गैस और तेल की खपत पहले के मुकाबले बढ़ी है. यही वजह है कि तेल और गैस के आयात पर खर्च भी बढ़ा है.
वित्तीय वर्ष (FY25) के पहले सात महीनों की बात करें तो इसमें ये खर्च लगभग 15 प्रतिशत बढ़ा है. पेट्रोलियम मंत्रालय के नए आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर 2024 तक, भारत का कुल तेल और गैस के आयात पर खर्च 79.3 बिलियन डॉलर था, जो पिछले साल के 69.2 बिलियन डॉलर से ज्यादा है. ऐसे में अगर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरे की घंटी होगी.
रूस और अमेरिका की रंजिश बढ़ा रही चिंता
सोमवार को कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के पीछे रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव में अमेरिका का हस्तक्षेप बताया जा रहा है. दरअसल, हाल ही में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अमेरिकी पॉलिसी में एक बड़ा बदलाव हुआ, जिसके तहत अमेरिका ने यूक्रेन को रूस पर हमला करने के लिए अमेरिका निर्मित हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दी है.
बताया जा रहा है कि इसका असर सीधे तौर पर कच्चे तेल की कीमतों पर पड़ेगा. ऑयल एंड गैस मार्केट के एक्सपर्ट टोनी साइकोमोर ने इसे लेकर कहा कि अमेरिका की ओर से यूक्रेन को लंबी दूरी की मिसाइलों से कुर्स्क के आसपास रूसी सेना पर हमला करने की इजाजत देना फिर से तेल कीमतों में बढ़ोतरी के आसार हैं.
इंपोर्ट पर निर्भर है भारत
आपको बता दें, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चे तेल का उपभोक्ता है और इसकी आयात पर निर्भरता भी 85 फीसदी से ज्यादा है. इसके अलावा भारत प्राकृतिक गैस का भी बड़ा उपभोक्ता है और अपनी डिमांड पूरी करने के लिए 50 फीसदी से ज्यादा गैस का आयात करता है. ऐसे में अगर रूस और अमेरिका के बीच विवाद बढ़ा और कच्चे तेल पर इसका असर हुआ तो इसमें भारत सीधे तौर पर प्रभावित होगा.
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