रूस के कच्चे तेल पर मिल रहे डिस्काउंट का भारत लगातार फायदा उठा रहा है. सस्ते भाव पर मिल रहे रूसी कच्चे तेल की भारत के द्वारा बड़े पैमाने पर खरीदारी पिछले महीने भी जारी रही. जुलाई महीने में यह आंकड़ा लगभग 3 बिलियन डॉलर का रहा और भारत की कुल खरीदारी में रूसी कच्चे तेल की हिस्सेदारी करीब 40 फीसदी रही.


रूस से आया भारत का 40 फीसदी कच्चा तेल


न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सेंटर फोर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) की एक रिपोर्ट के हवाले से बताया, जुलाई महीने में भारत ने अपनी कुल खरीदारी का लगभग 40 फीसदी कच्चा तेल रूस से खरीदा. यूक्रेन युद्ध से पहले रूस से भारत की कच्च तेल खरीदारी एक फीसदी से भी कम रहती थी. हालांकि जून महीने की तुलना में जुलाई में रूसी कच्चे तेल की खरीदारी कुछ कम हुई है. जून महीने के दौरान भारत के कच्चा तेल आयात में रूस का हिस्सा 42 फीसदी पर पहुंच गया था.


भारत और चीन उठा रहे डिस्काउंट का लाभ


सीआरईए का कहना है कि फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के द्वारा हमला करने के बाद वैश्विक व्यापार खासकर एनर्जी ट्रेड प्रभावित हुआ है. पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बाद रूस ने कच्चे तेल पर डिस्काउंट देना शुरू किया है, जिसका खास तौर पर भारत और चीन खूब फायदा उठा रहे हैं. भारत और चीन कई महीनों से रूसी तेल के सबसे बड़े दो खरीदार बने हुए हैं.


चीन ने खरीदा इतना रूसी कच्चा तेल


जुलाई महीने में भी कुछ वैसी ही स्थिति बनी रही. भारत ने जुलाई में रूस से कुल 2.8 बिलियन डॉलर के कच्चे तेल की खरीदारी की. रूस की टोटल बिक्री में भारत की खरीदारी का हिस्सा 37 फीसदी पर रहा. वहीं चीन रूस की कच्चे तेल की बिक्री में 47 फीसदी शेयर के साथ पहले स्थान पर रहा. अन्य खरीदारों में यूरोपियन यूनियन 7 फीसदी और तुर्की 6 फीसदी पर रहे.


कोयला खरीदने में भी भारत-चीन आगे


भारत और चीन रूस से अभी न सिर्फ बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीदारी कर रहे हैं, बल्कि खूब कोयला भी खरीद रहे हैं. आंकड़ों के अनुसार, चीन ने 5 दिसंबर 2022 से जुलाई 2024 के दौरान रूस की कुल बिक्री का 45 फीसदी कोयला खरीदा है और पहले स्थान पर रहा है. उसके बाद 18 फीसदी हिस्सेदारी के साथ भारत दूसरे नंबर पर रहा है. अन्य खरीदारों में तुर्की 10 फीसदी, दक्षिण कोरिया 10 फीसदी और ताईवान 5 फीसदी शामिल रहे.


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