Power Consumption: देश में लोग गर्मी की तपिश सह रहे हैं और कई राज्यों में हीटवेव अलर्ट भी जारी कर दिए गए हैं. ऐसे में घरों-दफ्तरों और संस्थानों में जमकर पंखे, कूलर, एसी चल रहे हैं और इसी का नतीजा है कि देश में बिजली की खपत में अचानक से जोरदार इजाफा देखा गया है. देश में बिजली की खपत अप्रैल में सालाना आधार पर करीब 11 फीसदी बढ़कर 144.25 अरब यूनिट रही है. मुख्य रूप से देश में तापमान बढ़ने से बिजली खपत बढ़ी है. सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है कि अप्रैल, 2023 में बिजली की खपत 130.08 अरब यूनिट थी.
दैनिक आधार पर भी बढ़ी बिजली की खपत
एक दिन में बिजली की मैक्सिमम डिमांड भी अप्रैल 2024 में बढ़कर 224.18 गीगावाट हो गई, जबकि अप्रैल, 2023 में यह 215.88 गीगावाट थी. बता दें कि एक गीगावाट बराबर 1000 मेगावाट होता है. बिजली मंत्रालय ने गर्मियों के दौरान बिजली की अधिकतम मांग लगभग 260 गीगावाट रहने का अनुमान लगाया है.
गर्मियों के परवान चढ़ने के साथ ही बढ़ेगी बिजली की मांग
सेक्टर के जानकारों ने कहा कि मांग में वृद्धि मुख्य रूप से तापमान बढ़ने और स्टील और बिजली जैसे क्षेत्रों में औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण हुई है. ये बिजली की खपत के साथ-साथ मांग को भी बढ़ाती जा रही है. उन्होंने कहा कि गर्मियों के परवान चढ़ने के साथ ही बिजली की मांग और खपत में भी मजबूत बढ़ोतरी बने रहने का अनुमान है.
बिजली मंत्रालय का अनुमान गलत साबित हुआ
बिजली मंत्रालय ने साल 2023 में गर्मियों के दौरान देश में बिजली की मांग 229 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान लगाया था लेकिन बेमौसम बारिश के कारण अप्रैल-जुलाई में यह अनुमानित स्तर तक नहीं पहुंच पाई. हालांकि अधिकतम मांग को पूरा करने के लिए जून में सप्लाई 224.1 गीगावाट की नई ऊंचाई पर पहुंच गई. लेकिन जुलाई में यह फिर घटकर 209.03 गीगावाट पर आ गई.
अगस्त से फरवरी तक की बिजली मांग ऐसी रही
- अगस्त 2023 में अधिकतम मांग 238.82 गीगावाट पर थी
- सितंबर में यह 243.27 गीगावाट पर थी
- अक्टूबर में 222.16 गीगावाट मांग रही
- नवंबर में 204.77 गीगावाट डिमांड देखी गई
- दिसंबर 2023 में 213.79 गीगावाट मांग दर्ज
- जनवरी 2024 में 223.51 गीगावाट की बिजली मांग रही
- फरवरी 2024 में 222.72 गीगावाट पर बिजली मांग रही
बिजली उद्योग का ये रहा आकलन
पावर इंडस्ट्री के एक्सपर्ट्स ने कहा कि व्यापक स्तर पर बारिश की वजह से साल 2023 में मार्च, अप्रैल, मई और जून में बिजली की खपत पर असर देखा गया था. वहीं अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में बिजली की खपत बढ़ने का मुख्य कारण गर्मी बढ़ने के अलावा त्योहार और उनसे पहले औद्योगिक गतिविधियों में तेजी भी थी.
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