GDP of India: इंडिया रेटिंग्स का अनुमान, 7 फीसदी रहेगी जीडीपी की ग्रोथ
India Ratings: आरबीआई ने भी अप्रैल में कहा था कि भारत की जीडीपी की ग्रोथ रेट वित्त वर्ष 2023-24 में 7 फीसदी रह सकती है. अब यही अनुमान इंडिया रेटिंग्स ने भी लगाया है.
India Ratings: इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च (India Ratings and Research) ने अनुमान लगाया है कि मार्च तिमाही में भारत की जीडीपी की ग्रोथ रेट 6.7 फीसदी और वित्त वर्ष 2023-24 6.9 से 7 फीसदी रह सकती है. पिछले वित्त वर्ष की जून तिमाही में भारतीय इकोनॉमी 8.2 फीसदी, सितंबर तिमाही में 8.1 फीसदी और दिसंबर तिमाही में 8.4 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ी थी.
पहली तीन तिमाही में 8 फीसदी से ऊपर रहे थे आंकड़े
इंडिया रेटिंग्स के इकोनॉमिस्ट सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि सरकार की ओर से जीडीपी के आंकड़े 31 मई को जारी किए जा सकते हैं. पिछले वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाही में इकोनॉमी ने 8 फीसदी से ऊपर की रफ्तार पकड़ी हुई थी. मगर, जनवरी-मार्च तिमाही में यह 7 फीसदी से नीचे जा सकती है. उन्होंने कहा कि तीसरी तिमाही में जीडीपी के आंकड़े बढ़े हुए टैक्स कलेक्शन के चलते ऊपर गए थे. ऐसा चौथी तिमाही में होता नहीं दिखाई दे रहा है. तीसरी तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) 6.5 फीसदी रही थी. इसके चलते जीडीपी का आंकड़ा भी 8.4 फीसदी पर पहुंच गया था.
ग्रॉस वैल्यू एडेड के आंकड़े कम रहने की आशंका
सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ग्रॉस वैल्यू एडेड और जीडीपी 8.2 फीसदी रहे थे. दूसरी तिमाही में जीवीए 7.7 फीसदी और जीडीपी 8.1 फीसदी रही थी. जीडीपी के आंकड़ों में उस अवधि के दौरान पैदा हुई गुड्स और सर्विसेज की कुल वैल्यू जोड़ी जाती है. उधर, ग्रॉस वैल्यू एडेड को हासिल करने के लिए जीडीपी में से नेट टैक्स को घटा दिया जाता है.
आरबीआई ने भी 7 फीसदी रहने का लगाया था अनुमान
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने भी अप्रैल में अपने मोनेट्री पॉलिसी रीव्यू में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था. चालू वित्त वर्ष के लिए सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि जीडीपी के आंकड़े 7.1 फीसदी रह सकते हैं. उन्होंने कहा कि पिछले वित्त वर्ष से जारी अच्छा माहौल इस वित्त वर्ष में असर दिखाएगा. सर्विस सेक्टर के आगे बढ़ने की पूरी उम्मीद है. साथ ही कंस्ट्रक्शन और इलेक्ट्रिसिटी के बढ़ने की भी उम्मीद है. मगर, माइनिंग और इंडस्ट्रियल आउटपुट में कमी की आशंका जताई जा रही है. यदि मानसून अच्छा रहा तो गांवों में डिमांड बढ़ सकती है. हालांकि, भारत सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी बना रहेगा.
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