डिजिटल ट्रांजेक्शन (Digital Transaction) के मामले में आज के समय में भारत ग्लोबल लीडर बन चुका है. मौके-बेमौके इसकी चर्चा होती रहती है कि कैसे भारत ने डिजिटल पेमेंट के मामले में विकसित देशों को भी मीलों पीछे छोड़ दिया है. डिजिटल पेमेंट के आंकड़े भी भारत की इस बढ़त की कहानी बयान करते हैं. आप जान कर हैरान रह सकते हैं कि देश में अभी हर रोज करीब 38 करोड़ डिजिटल पेमेंट किए जा रहे हैं.


आरबीआई गवर्नर ने बताया आंकड़ा


रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने डिजिटल पेमेंट में आई तेजी से जुड़े इन आंकड़ों की जानकारी बुधवार को एक कार्यक्रम में दी. वह भारतीय उद्योग परिसंघ यानी सीआईआई (CII) के एक कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे थे. इस मौके पर उन्होंने 2000 रुपये के नोट बंद करने के हालिया फैसले से लेकर महंगाई, रेपो रेट और डिजिटल ट्रांजेक्शन जैसे मुद्दों पर बातें की.


यूपीआई से हो रहे इतने डिजिटल पेमेंट


आरबीआई गवर्नर ने बताया कि साल 2016 में जहां देश भर में हर रोज करीब 2.28 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहे थे, अब उनकी संख्या बढ़कर 38 करोड़ के पास पहुंच गई है. उन्होंने कहा कि ताजा आंकड़ों के अनुसार, अभी देश में हर रोज औसतन 37.75 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन हो रहे हैं और इनमें यूपीआई (UPI) की हिस्सेदारी सबसे ज्यादा है. अकेले यूपीआई के माध्यम से हर रोज करीब 29.5 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन पूरे किए जा रहे हैं.


इन कारणों से बढ़े डिजिटल पेमेंट


भारत में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए मुख्य रूप से 4 कारणों को जिम्मेदार माना जाता है. इनमें सबसे पहला कारण नोटबंदी (Demonetization) है. नवंबर 2016 में जब पूरे देश में नोटबंदी की गई थी, तो उसके बाद कई महीनों तक बाजार में कैश की दिक्कत रही थी. उस कारण छोटे दुकानदार भी डिजिटल पेमेंट लेने लग गए थे. इसे क्रांतिकारी रफ्तार दी यूपीआई ने, जिसने बैंक टू बैंक ट्रांजेक्शन को चुटकियों का काम बना दिया. 4जी यानी सस्ते इंटरनेट ने भी डिजिटल ट्रांजेक्शन को आम लोगों तक पहुंचाने में मदद की, जब कोरोना महामारी से भी इसमें तेजी आई.


ताजा हो चुके हैं नोटबंदी के जख्म


संयोग से डिजिटल पेमेंट को लेकर रिजर्व बैंक गवर्नर ने यह आंकड़ा ऐसे समय दिया है, जब लोगों के जेहन में नोटबंदी के जख्म ताजा हो चुके हैं. रिजर्व बैंक ने पिछले सप्ताह 2000 रुपये के नोट को वापस लेने का ऐलान किया. इन नोटों को नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद जारी किया गया था. आरबीआई के ताजा फैसले के बाद लोगों को फिर से नोटबंदी की परेशानियों की याद आने लग गई. हालांकि इस बार स्थिति उससे बहुत अलग है, क्योंकि बाजार में डिजिटल माध्यमों की पर्याप्त उपलब्धता से सामान्य लेन-देन पर कोई खास असर नहीं हो रहा है.


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