साल 2022 आर्थिक लिहाज से पूरी दुनिया के लिए बदलावों से भरा रहा. इस दौरान आर्थिक संबंधों में व्यापक बदलाव देखने को मिले और भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. खासकर भारत और रूस के व्यापारिक (India Russia Trade) संबंधों को देखें तो इसमें अभूतपूर्व बदलाव आए. बदले हालात में दोनों देशों के बीच व्यापार तेजी से बढ़ा और इतिहास में पहली बार रूस भारत के पांच सबसे व्यापारिक भागीदारों में एक बन गया.


02 साल पहले ही लक्ष्य पूरा


साल 2022 के दौरान भारत और रूस के बीच 38.4 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ. यह दोनों देशों के बीच अभी तक किसी एक साल के दौरान हुआ सबसे ज्यादा व्यापार है. यह जानकारी रूसी कंपनी रॉसनेफ्ट ऑयल कंपनी के चीफ एक्सीक्यूटिव ऑफिसर इगोर सेचिन ने दी. वह अभी भारत यात्रा पर आए हुए हैं. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के नेताओं ने साल 2025 तक आपसी व्यापार को 30 बिलियन डॉलर पहुंचाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन इसे समय से पहले ही हासिल कर लिया गया है.


इस समझौते पर हुए हस्ताक्षर


सेचिन की यात्रा के दौरान रॉसनेफ्ट ऑयल कंपनी और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने तेल की आपूर्ति बढ़ाने व भारत को मिलने वाले ग्रेड्स को डाइवर्सिफाइ करने के संबंध में एक टर्म एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए. समझौते पर रॉसनेफ्ट ऑयल कंपनी की ओर से सीईओ इगोर सेचिन ने और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड की ओर से श्रीकांत माधव वैद्य ने हस्ताक्षर किए. इस दौरान पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी उपस्थित थे.


इन मुद्दों पर भी हुई चर्चा


इस दौरान दोनों पक्षों ने रॉसनेफ्ट ऑयल कंपनी और भारतीय कंपनियों के बीच रुपये व रुबल में भुगतान करने की संभावनाओं समेत ऊर्जा क्षेत्र की पूरी आपूर्ति श्रृंखला में भागीदारी बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की गई. इसके अलावा सखालिन-1, टास-यूरयाख और वैनकोरनेफ्ट समेत रॉसनेफ्ट व भारतीय कंपनियों की विभिन्न संयुक्त परियोजनाओं के जारी क्रियान्वयन पर भी ध्यान दिया गया.


अभी जारी रहने वाली है तेजी


रेटिंग एजेंसी एसएंडपी500 ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा था कि रूस और भारत के बीच व्यापार में 2022 के दौरान आई तेजी साल 2023 के दौरान भी जारी रह सकती है. एजेंसी ने कहा था कि रूस से भारत का आयात अभी और बढ़ सकता है. वहीं रूस के लिहाज से बात करें तो चीन पिछले साल उसका सबसे बड़ा आयातक था. इस साल भी चीन रूस का सबसे बड़ा खरीदार रह सकता है.


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