India Oil Import: रूस को झटका, भारत ने घटा दिया कच्चे तेल का आयात, 12 महीने के निचले स्तर पर
India Russia Oil Import: रूस से भारत को होने वाला कच्चे तेल का आयात जनवरी में लगातार दूसरे महीने गिरकर 12 महीने में सबसे निचले स्तर पर आ चुका है. इसका कारण भी यहां जान सकते हैं.
India Russia: पिछले महीने की 20 जनवरी 2024 के आसपास खबर आई थी कि साल 2023 के दौरान भारत ने सबसे ज्यादा कच्चे तेल की खरीदारी रूस से की थी. साल 2023 में भारत ने रूस से 16.6 लाख बैरल कच्चे तेल की प्रति दिन खरीद की. एक साल पहले 2022 में यह आंकड़ा महज 6.51 लाख बैरल प्रति दिन का था. यानी 2022 की तुलना में 2023 में भारत की रूस से कच्चे तेल की खरीदारी में 155 फीसदी की जबरदस्त बढ़ोतरी दर्ज की गई है. हालांकि अब नए साल की शुरुआत में ही भारत को आने वाली रूसी कच्चे तेल की आमद में गिरावट देखी जा रही है.
रूस से जनवरी में लगातार दूसरे महीने गिरा क्रूड का इंपोर्ट
रूस से भारत का कच्चे तेल का आयात जनवरी में लगातार दूसरे महीने गिरकर 12 महीने में सबसे निचले स्तर पर आ गया. हालांकि, लॉन्ग टर्म डिमांड अब भी बरकरार है. एनर्जी कार्गो ट्रैकर 'वोर्टेक्सा' के आंकड़ों के मुताबिक, रूस ने जनवरी में भारत को प्रति दिन 12 लाख बैरल कच्चे तेल की सप्लाई की, जो दिसंबर में 13.2 लाख बैरल और नवंबर 2023 में 16.2 लाख बैरल से कम है. हालांकि, रूस अब भी भारत के लिए कच्चे तेल का शीर्ष का सप्लायर बना हुआ है.
इराक और सऊदी अरब का तेल आयात का आंकड़ा जानें
वोर्टेक्सा के मुताबिक, भारत ने दिसंबर 2021 में रूस से सिर्फ 36,255 बैरल प्रति दिन कच्चे तेल का आयात किया, जबकि इराक से 10.5 लाख बैरल प्रति दिन और सऊदी अरब से 952,625 बैरल प्रति दिन आयात किया.
रूसी कच्चे तेल की दीर्घकालिक मांग बरकरार
रूस से आयात पिछले साल जून में 21 लाख बैरल प्रति दिन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था, जो भारत के कुल इंपोर्टेड तेल का करीब 40 फीसदी है. उद्योग से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि रूसी कच्चे तेल की दीर्घकालिक मांग बरकरार है.
रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना रहेगा जारी- अधिकारी
एक अधिकारी ने कहा, "एक महीने में गिरावट तथा दूसरे महीने में बढ़ोतरी पूरी कहानी बयां नहीं करती. तथ्य यह है कि भारतीय कंपनियां तब तक रूसी कच्चा तेल खरीदना जारी रखेंगी जब तक यह आर्थिक रूप से सही रहेगा. एक अधिकारी ने कहा, "जब तक रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति लागत वैकल्पिक स्रोतों की तुलना में कम रहेगी तब तक भारतीय रिफाइनर इसे खरीदेंगे."
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