India Trade Deficit: वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी प्राइसेज में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हो चला है जिसका असर व्यापार घाटे के आंकड़े पर पड़ने वाला है. अप्रैल से जून तिमाही में चालू खाते का घाटा एक दशक के उच्चतम स्तर के लेवल पर रह सकता है.
रायटर्स ने 9 से 15 सितंबर के बीच 18 अर्थशास्त्रियों में पोल कराया है जिसके मुताबिक चालू खाते का घाटा अप्रैल से जून तिमाही में 30.5 अरब डॉलर यानि जीडीपी का 3.6 फीसदी रहने का अनुमान है जो कि 9 सालों में सबसे ज्यादा होगा. कुल लोगों के अनुमान के मुताबिक 28.5 अरब डॉलर से लेकर 34 अरब डॉलर भी रह सकता है जो जीडीपी के 2.4 फीसदी से लेकर 5 फीसदी भी रह सकता है. जनवरी से मार्च 2022 के दौरान चालू खाते का घाटा 13.4 अरब डॉलर यानि जीडीपी का 1.5 फीसदी रहा था.
करेंट अकाउंट घाटा (डेफिसिट) का असर करेंसी पर देखा जा रहा है. सभी देशों के बैंक महंगाई पर नकेल कसने के लिए कर्ज महंगा कर रहे हैं. आरबीआई का विदेशी मुद्रा भंडार घटता जा रहा है और ये आने वाले समय में और घट सकता है. जनवरी 2022 के बाद से रुपया 7 फीसदी कमजोर हुआ है. तो 2013 के बाद 20 फीसदी रुपये में कमजोरी आई है. और ये कमजोरी जारी रह सकती है. फिलहाल एक डॉलर के मुकाबले रुपया 79.74 पर ट्रेड कर रहा है.
सरकार ने व्यापार घाटे को कम करने के लिए सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाया है. जिसका असर मौजूदा तिमाही में ही दिखेगा.
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