Current Account Deficit: वैश्विक कारणों के चलते कमोडिटी प्राइसेज में उछाल और डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हो चला है जिसका असर चालू खाते का घाटा (Current Account Deficit) के आंकड़े पर पड़ा है. मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही अप्रैल से जून में चालू खाते का घाटा बढ़कर 23.9 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है जो कि जीडीपी का 2.8 फीसदी है.  जबकि जनवरी से मार्च तिमाही के दौरान चालू खाते का घाटा 13.4 अरब डॉलर था जो कि जीडीपी का 1.5 फीसदी है. जबकि इसके वित्त वर्ष की इसी तिमाही में करंट अकाउंट डेफिसिट सरप्लस में 6.6 अरब डॉलर रहा था. 


आरबीआई ने ये डाटा जारी किया है. आरबीआई के मुताबिक अप्रैल से जून के बीच व्यापार घाटा 68.6 अरब डॉलर रहा है जो कि जनवरी से मार्च के बीच 54.5 अरब डॉलर रहा था. साथ ही इंवेस्टमेंट इनकम पेमेंट के निकासी में बढ़ोतरी के चलते भी करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ा है. आरबीआई ने कहा है कि 2022-23 में करंट अकाउंट डेफिसिट जीडीपी का 3 फीसदी रहने का अनुमान है जो इसके पहले वित्त वर्ष में जीडीपी का 1.2 फीसदी रहा था.  


आरबीआई के डाटा के मुताबिक कम्प्यूटर और बिजनेस सर्विसेज के एक्सपोर्ट में बढ़ोतरी देखी गई है. कंप्यूटर, बिजनेस, ट्रांसपोर्टेशन और ट्रैवल सर्विसेज के एक्सपोर्ट में 35.4 फीसदी का उछाल आया है.  विदेशों में काम करने वाले भारतीयों द्वारा भेजे जाने वाले रेमिटेंस में बीते तिमाही के मुकाबले 2022-23 की पहली तिमाही में 22.6 फीसदी का उछाल आया है और ये 25.6 अरब डॉलर रहा है. 


इनकम अकाउंट पर पर नेट आउटगो जो इंवेस्टमेंट इनकम पर पेमेंट को दर्शाता है वो 7.5 अरब डॉलर से बढ़कर 9.2 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अप्रैल से जून तिमाही में 13.6 अरब डॉलर रहा है जो बीते वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 11.6 अरब डॉलर रहा था. वहीं विदेशी पोर्टफोलियो इवेस्टमेंट की निकासी 14.6 अरब डॉलर रही है जो बीते वर्ष की इसी तिमाही में 0.4 अरब डॉलर रहा था. 


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