India Fiscal Deficit: मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 के पहले सात महीने में राजकोषीय घाटा 8.04 लाख करोड़ रुपये रहा है जो कि अप्रैल से सितंबर के दौरान 7.02 लाख करोड़ रुपये रहा था. पहले सात महीने के दौरान वित्तीय घाटा पूरे वित्त वर्ष के अनुमान का 45 फीसदी रहा है. पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा बजट अनुमान का 45.6 फीसदी रहा था. पूरे वित्त वर्ष के लिए सरकार ने 17.87 लाख करोड़ रुपये राजकोषीय घाटे रहने का टारगेट तय किया है.
लेखा महानियंत्रक (CGA) ने गुरुवार को अप्रैल से अक्टूबर तक के लिए गुरुवार को ये आंकड़ा जारी किया है. भारत सरकार को चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर 2023 तक 15.9 लाख करोड़ रुपये प्राप्त हुए जो 2023-24 के बजट अनुमान का 58.6 फीसदी है. इस रकम में जिसमें 13.01 लाख करोड़ रुपये कर राजस्व के रूप में, 2.65 लाख करोड़ रुपये गैर-कर राजस्व के रूप में और 22,990 करोड़ रुपये गैर-ऋण पूंजीगत प्राप्तियों के रूप में हासिल हुआ है.
राजकोषीय घाटा सरकार के आय और खर्च के बीच फर्क है जिसे पूरा करने के लिए सरकार बाजार से उधार लेकर पूरा करती है. इस वित्त वर्ष के लिए आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023-24 के लिए राजकोषीय घाटे को 17.86 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 5.9 फीसदी रखने के लक्ष्य तय किया है.
सीजीए के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान केंद्र सरकार का कुल खर्च 23.94 लाख करोड़ रुपये रहा है, जो कि 2023-24 के बजट अनुमान का 53 फीसदी है. कुल खर्च में 18,47,488 करोड़ रुपये राजस्व खाते पर और 5,46,924 करोड़ रुपये पूंजीगत खाते पर किया गया है.
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी इक्रा लिमिटेड की चीफ इकोनॉमिस्ट अदिति नायर ने कहा कि अक्टूबर में सालाना आधार पर पूंजीगत व्यय में 15 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे सात महीने की अवधि में राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिली है. उन्होंने कहा, 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत मुफ्त खाद्यान्न योजना को आगे बढ़ाने, एलपीजी पर अधिक सब्सिडी और उर्वरक सब्सिडी बढ़ने के चलते हमारा अनुमान है कि खर्च वित्त वर्ष 2023-24 के बजट अनुमान से 0.8-1 लाख करोड़ रुपये अधिक होगा.
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