(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
India Forex Reserve Data: विदेशी मुद्रा भंडार में उछाल पर लगी ब्रेक, आरबीआई के मुताबिक 578.45 बिलियन डॉलर पर आ गया कोष
RBI Data: आरबीआई दवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आती है तो इससे मैक्रोइकोनॉमिक स्टैबिलिटी को मजबूती मिलेगी.
India Forex Reserve Data: विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) में लगातार तेजी पर ब्रेक लग गया है. 31 मार्च 2023 को खत्म हुए सप्ताह के बाद विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 578.45 बिलियन डॉलर पर आ गया है. यानि इस हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 380 मिलियन डॉलर की गिरावट आई है.
विदेशी मुद्रा भंडार को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक ने डाटा जारी किया है जिसके मुताबिक विदेशी मुद्रा भंडार आठ महीने के सबसे उच्चतम स्तर 578.78 बिलियन डॉलर से घटकर 578.45 बिलियन डॉलर पर आ गया है. आरबीआई (RBI) के डाटा के मुताबिक विदेशी करेंसी एसेट्स में 36 मिलियन डॉलर की गिरावट आई है और ये घटकर 509.69 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. भारत के सोने के रिजर्व 279 मिलियन डॉलर के गिरावट के साथ 45.200 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा है. एसडीआर में 27 मिलियन डॉलर की गिरावट आई है तो आईएमएफ में भारत के रिजर्व 14 मिलियन डॉलर बढ़कर 5.16 मिलियन डॉलर रहा है.
साल 2022 की शुरुआत में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 633 बिलियन डॉलर हुआ करता तो अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 645 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. वैश्विक घटनाक्रमों के बीच केंद्रीय बैंक के रुपये की विनियम दर में तेज गिरावट को रोकने के लिए मुद्रा भंडार का उपयोग करने की वजह से बाद में इसमें गिरावट देखी जा रही है.
विदेशी मुद्रा भंडार में पिछले महीनों में जो कमी आई है वो इसलिए भी क्योंकि आयात महंगा हुआ है. तो आरबीआई और फेड रिजर्व के सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के चलते रुपया कमजोर हुआ है. निवेशक इमर्जिंग मार्केट से अपने निवेश को निकाल ऐसे अमेरिका जैसे स्थिर देशों में निवेश कर रहे हैं. जिससे सख्त मॉनिटरी पॉलिसी के दौरान भी निवेशकों को बेहद रिटर्न मिल सके.
आरबीआई समय समय पर लिक्विडिटी मैनेजमेंट के जरिए मार्केट में दखल देता है जिसमें आरबीआई डॉलर भी बेचता है जिससे घरेलू करेंसी को और कमजोर होने से बचाया जा सके. गुरुवार को मॉनिटरी पॉलिसी की घोषणा करते हुए आरबीआई दवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आती है तो इससे मैक्रोइकोनॉमिक स्टैबिलिटी को मजबूती मिलेगी.
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