India FY 24 GDP Growth Projection: भारत समेत पूरी दुनिया में बढ़ती महंगाई (Inflation in World) ने आम लोगों की कमर तोड़ दी है. बढ़ती महंगाई को कंट्रोल (Inflation Control) करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) समेत दुनिया भर के केंद्रीय बैंक लगातार अपनी ब्याज दरों में इजाफा कर रहे हैं. इसका सीधा असर देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) पर पड़ रहा है. हाल ही में वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की जीडीपी को लेकर एक रिपोर्ट आई है. इस रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि देश की जीडीपी (GDP Of India) अगले वित्त वर्ष में घटकर 5.5 फीसदी तक रह सकती है. ऐसे में यह इकोनॉमी को मोर्चे (Indian Economy) पर भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छी खबर नहीं है. वहीं चालू वित्त वर्ष 2022-23 में यह 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है. स्विट्जरलैंड की ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस इंडिया (UBS India report on Economy) ने भारत की जीडीपी पर अपनी रिपोर्ट पब्लिश की है.


किन कारणों से घट सकती है जीडीपी?
यूबीएस इंडिया (UBS India) के अर्थशास्त्रियों के मुताबिक भारत की जीडीपी में गिरावट का कारण वैश्विक सुस्ती और कई देशों की सख्‍त मौद्रिक नीतियां हैं. साल 2022 में कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण यूरोप, अमेरिका समेत पूरी दुनिया में तेजी से महंगाई बढ़ी है. इसके साथ ही चीन में कोरोना लॉकडाउन के कारण पूरी दुनिया के सप्लाई चेन पर बहुत बुरा असर पड़ा है. ऐसे में पूरी दुनिया में मंदी (Economic Slowdown in World) की आशंका बढ़ गई है और इसका असर भारत पर कम पड़ेगा. भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (5th Largest Economy of the World) बन चुका है. ऐसे में सप्लाई चेन में गड़बड़ी और वैश्विक मंदी का असर भारत पर भी आने वाले दिनों में दिख सकता है.


5.5 फीसदी रह सकती है भारत की जीडीपी ग्रोथ
यूबीएस इंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है कि डोमेस्टिक मार्केट में मांग पर आरबीआई की सख्त मौद्रिक नीति का असर आने वाले दिनों में साफ देखा जा सकता है. इससे वित्त वर्ष 2023-2024 में भारत की जीडीपी में गिरावट दर्ज की जा सकती है. वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी 6.9 फीसदी रहेगी जो अगले साल घटकर केवल 5.5 फीसदी पहुंच जाएगी. वहीं वित्त वर्ष 2024-25 में भारती की जीडीपी 6.00 फीसदी से ग्रो करने का अनुमान है.


RBI लगातार बढ़ा रहा रेपो रेट
गौरतलब है कि पिछले 7 महीने में रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India)  ने अपनी रेपो रेट (RBI Repo Rate)  में लगातार बदलाव किया है. मई से अब तक रिजर्व बैंक ने अपनी ब्याज दरों में पूरी 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की है. रेपो रेट 4.00 फीसदी से बढ़कर 5.90 फीसदी तक पहुंच गया है. ऐसे में बढ़ती ब्याज दरों के कारण लोगों पर ईएमआई का बोझ बढ़ रहा है. इसके साथ ही घरेलू मांग पर भी इसका बुरा असर देखने को मिल सकता है. लोगों के होम लोन, कार लोन, एजुकेशन लोन की ईएमआई पर ब्याज दरों में तेजी से इजाफा हो रहा है. 


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