नई दिल्लीः इंटरनेशनल रेटिंग एजेंसी मूडीज इनवेस्टर्स सर्विसेज समेत कुछ और एजेंसियों की ओर से भारत की सॉवरेन रेटिंग घटाने पर सरकार ने असंतोष जाहिर किया है. देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा है कि रेटिंग एजेंसियों को भारत की क्रेडिट रेटिंग बेहतर करनी चाहिए.


भारत की संभावनाओं का ठीक आकलन हो : सुब्रमण्यम

सुब्रमण्यम ने कहा कि रेटिंग एजेंसियां भारत की संभावनाओं को ठीक से नहीं आंक रही है. खुद इन एजेंसियों ने भारत में बिजनेस और अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए सरकार में सुधारों की तारीफ की है. ऐसे में इनका रेटिंग घटाना ठीक नहीं है. कुछ एजेंसियों ने अगले वित्त वर्ष के दौरान अच्छी ग्रोथ की संभावनाएं जताई है. रेटिंग एजेंसी फिच ने 2021-22 में विकास दर 9.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. सीईए ने कहा कि भारत के पास कर्ज चुकाने की बेहतर क्षमता है और बुनियादी मांग है. हमारा कर्ज गोल्ड स्टैंडर्ड का है और हमारी मंशा भी खरी है. ऐसे में रेटिंग एजेंसियों को हमारी सॉवरेन रेटिंग को सुधारना चाहिए.

मूडीज ने घटाई थी सॉवरेन रेटिंग

मूडीज ने पिछले दिनों भारत की सॉवरेन रेटिंग में कमी कर दी थी. इसने भारत की सॉवरेन रेटिंग bba2 से घटा कर bba3 कर दी थी. जबकि एसएंडपी ने bbb (-) की रेटिंग बरकरार रखी है. इस बीच, आरबीआई ने  रेटिंग एजेंसियों के प्रमुखों के साथ अर्थव्यवस्था पर चर्चा की. समझा जाता है भारत की रेटिंग को लेकर उनके नजरिये को जानने की कोशिश की गई.

आरबीआई के गवर्नर शक्तिदास की इस बैठक में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये मूडीज, फिच, केयर रेटिंग्स, इंडिया रेटिंग्स के चीफ शामिल थे. इससे लगता है कि सरकार भारत की रेटिंग घटने को लेकर चिंतित है. रेटिंग एजेंसियों की डाउनग्रेडिंग विदेशी निवेशकों पर नकारात्मक असर डाल सकती है. ऐसे वक्त में जब कोरोना संक्रमण की वजह से अर्थव्यवस्था में मंदी की स्थिति है तो डाउनग्रेडिंग का असर और खराब हो सकता है. इससे अर्थव्यवस्था में सुधार को लेकर भी निराशा का माहौल बन सकता है.