पिछला महीना भारत के सेवा क्षेत्र (India Service Sector) के लिए बेहद शानदार साबित हुआ. फरवरी 2023 के दौरान देश के सेवा क्षेत्र में शानदार वृद्धि दर्ज की गई. एक सर्वे के ताजा आंकड़ों के अनुसार, मजबूत मांग और कीमतों में नरमी के कारण पिछले महीने सेवा क्षेत्र का प्रदर्शन 12 साल में सबसे अच्छा रहा.


फरवरी में इतना रहा सर्विस पीएमआई


एसएंडपी ग्लोबल इंडिया का सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (S&P Global India Services Purchasing Managers' Index) फरवरी में बढ़कर 59.4 पर पहुंच गया. यह फरवरी 2011 के बाद सबसे शानदार आंकड़ा है. इससे पहले जनवरी 2023 में सर्विस सेक्टर का पीएमआई (Service Sector PMI) 57.2 रहा था. फरवरी में पीएमआई का आंकड़ा सभी अनुमानों को मात देने वाला साबित हुआ है. रॉयटर्स के एक पोल में तो पीएमआई के फरवरी में कम होकर 56.2 रह जाने का अनुमान व्यक्त किया गया था.


लगातार 19वें महीने आई तेजी


आपको बता दें कि सर्वे में पीएमआई अगर 50 से ज्यादा रहता है, तो इससे पता चलता है कि संबंधित सेक्टर में गतिविधियों में तेी आई है. 50 से कम पीएमआई सेक्टर में सुस्ती आने का संकेत देता है, जबकि अगर पीएमआई 50 रहता है तो माना जाता है कि गतिविधियों में न तो तेजी आई और न ही गिरावट. फरवरी 2023 के दौरान सर्विस सेक्टर का पीएमआई लगातार 19वें महीने 50 से ज्यादा रहा है. यह जून 2013 के बाद सर्विस सेक्टर में लगातार तेजी का सबसे लंबा दौर है.


मैन्यूफैक्चरिंग में आई है कमी


इससे पहले फरवरी महीने में विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई यानी एसएंडपी ग्लोबल इंडिया मैन्यू्फैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (S&P Global India Manufacturing Purchasing Managers' Index) 55.3 पर रहा था, जो चार महीने में सबसे कम था. जनवरी 2023 में विनिर्माण क्षेत्र का पीएमआई 55.4 रह था. हालांकि सर्विस सेक्टर की तेज वृद्धि ने कंपोजिट इंडेक्स (Composite Index) को बढ़ा दिया. कंपोजिट इंडेक्स जनवरी में 57.5 पर था, जो फरवरी में बढ़कर 59 पर पहुंच गया.


कम हुआ है कारोबार में भरोसा


एसएंडपी ग्लोबल में अर्थशास्त्र की एसोसिएट डाइरेक्टर पॉलिएना डी लीमा (Pollyanna De Lima) ने कहा, सर्विस सेक्टर ने जनवरी में जो गति खोई थी, फरवरी में उसने उससे ज्यादा हासिल कर लिया. मांग में मजबूती आने और प्रतिस्पर्धी कीमतों के बदौलत फरवरी में सर्विस सेक्टर में तेजी आई. हालांकि नए बिजनेस में 08 महीनों की सबसे ज्यादा तेजी के बाद भी भर्तियों में ज्यादा सुधार नहीं आया और बिजनेस कांफिडेंस (Business Confidence) सात महीने में सबसे कम रहा. कुछ कंपनियों को मांग के इस कदर तेज बने रहने की उम्मीद नहीं है, इस कारण कारोबार के माहौल में भरोसा कम हुआ है.