India Service PMI: तीन महीने में सबसे कम हुई सेवा क्षेत्र की बढ़ने की रफ्तार, जून में इतना रहा सर्विस पीएमआई
Service Sector Growth: भारत के सेवा क्षेत्र में वृद्धि का क्रम जून महीने में भी बना रहा, लेकिन इसके बढ़ने की रफ्तार 3 महीने में सबसे कम हो गई. ताजा आंकड़ों में इसका पता चला है...
देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देने वाले सेवा क्षेत्र (India Service Sector) के लिए जून महीना थोड़ी नरमी वाला रहा. पिछले महीने के दौरान भारत का सेवा क्षेत्र वृद्धि की राह पर तो बरकरार रहा, लेकिन उसके आगे बढ़ने की रफ्तार तीन महीने में सबसे कम रही. ताजा आंकड़े बताते हैं कि इसके साथ ही जून महीने के दौरान आउटपुट चार्जेज में करीब 6 साल की सबसे बड़ी तेजी देखी गई.
इतना रहा जून में सर्विस पीएमआई
एसएंडपी ग्लोबल का इंडिया सर्विसेज पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स यानी पीएमआई (Service PMI) जून महीने में कम होकर 58.5 पर आ गया. इससे पहले मई महीने में यह 61.2 पर रहा था. इससे पहले मंगलवार को मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई का डेटा आया था. अगर पीएमआई 50 से ऊपर रहता है तो माना जाता है कि उस अवधि के दौरान वृद्धि दर्ज की गई है. 50 से कम पीएमआई का मतलब गिरावट से होता है और स्थिर रहने पर पीएमआई 50 रहता है.
लगातार 23वें महीने आई वृद्धि
इस तरह देखें तो भले ही जून महीने के दौरान सेवा क्षेत्र का पीएमआई कम हुआ है, लेकिन सेवा क्षेत्र ग्रोथ के जोन में बना हुआ है. जून 2023 लगातार 23वां ऐसा महीना रहा है, जब सर्विस सेक्टर का पीएमआई 50 से ऊपर रहा है. दूसरे शब्दों में कहें तो जून 2023 के दौरान लगातार 23वें महीने भारत के सेवा क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है.
सेवा क्षेत्र का इतना अहम रोल
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में सेवा क्षेत्र का योगदान 50 फीसदी से ज्यादा है. सेवा क्षेत्र भारत के कुल निर्यात में भी बड़ा योगदान देता है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था ने 6.1 फीसदी की दर से वृद्धि की थी, जिसके बाद पूरे पिछले वित्त वर्ष के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 फीसदी रही थी.
ऐसे मिली सेवा क्षेत्र को मदद
एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस में अर्थशास्त्र की एसोसिएट निदेशक पॉलिएना डी लीमा (Pollyanna De Lima) ने कहा, जून महीने में भारतीय सेवाओं की मांग ऊंची रही. निगरानी वाले सभी चार उप-क्षेत्रों के नए कारोबार में तेज वृद्धि हुई. वृद्धि की रफ्तार बढ़ने से कारोबारी गतिविधियों में जोरदार तेजी आई और इससे रोजगार के आंकड़े भी बेहतर हुए. कीमत के मामले में मिला-जुला रुख देखने को मिला है. उत्पादन की लागत बढ़ने की दर कम हुई है.
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