Taper Tantrum In 2022: भारतीय रिजर्व बैंक ( Reserve Bank Of India) विदेशी निवेशकों (Foreign Investors) की बिकवाली के चलते घरेलू करेंसी ( Domestic Currency) में आई कमजोरी को थामने के लिए लगातार अपने विदेशी मुद्रा भंडार ( Forex Reserve) से डॉलर को बेचने में जुटा है. जिस प्रकार रुपये को थामने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Currency Reserve )का इस्तेमाल कर रहा है इसने 2013 की याद दिला दी है. उस समय भी आरबीआई ने रुपये में गिरावट को रोकने के लिए अपने कोष का इस्तेमाल किया था और डॉलर के मुकाबले रुपये में बड़ी गिरावट आने से रोका था.  


6 महीने में 38.8 डॉलर घटा कोष 
शुक्रवार 17 सितंबर, 2022 को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वर्ष 2022 में जनवरी से लेकर जुलाई के बीच आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार से 38.8 अरब डॉलर बेचा. जिसमें केवल जुलाई महीने में आरबीआई ने 19 अरब डॉलर बेच डाला. अगस्त में भी यही हुआ जब रुपया पहली बार एक डॉलर के मुकाबले 80 रुपये के लेवल के नीचे चला गया. आरबीआई का फॉरवर्ड डॉलर होल्डिंग अप्रैल के 64 अरब डॉलर से घचकर 22 अरब डॉलर के लेवल पर आ गया है.  


टेपर टैंट्रम की दिलाई याद
2013 में भी आरबीआई ने जून से सितंबर के बीच 13 अरब डॉलर अपने विदेशी मुद्रा भंडार से बेच डाला था. तब मई 2013 में, यूएस फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया था कि वह अपने बांड-खरीद कार्यक्रम पर रोक लगाएगा जो कि वैश्विक वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड में अचानक बिकवाली के बाद से चल रहा था. इसका अर्थ ये था कि फेडरल रिजर्व अंधाधुंध धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब यूएस सेंट्रल बैंक ने ये कहा तब माना गया कि ब्याज दरें वापस ऊपर की ओर बढ़ेंगी. जिसके बाद निवेशकों ने माना कि अब उभरती अर्थव्यवस्थाओं में बने रहने की आवश्यकता नहीं है, तो उन्होंने रातों-रात अपना पैसा निकाल लिया. इसे टेपर टैंट्रम (Taper Tantrum) का नाम दिया गया. तब भी विदेशी निवेशकों के बिकवाली के चलते रुपया कमजोर पड़ गया था. आरबीआई ने अपने विदेशी मुद्रा कोष से डॉलर की बिकवाली की थी. 


11 महीने में 92 अरब डॉलर की कमी 
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार अक्टूबर 2021 के 642 अरब डॉलर के लेवल से घटकर अब 550 अरब डॉलर रह गया है. डॉलर की बिकवाली से तो कोष में कमी आई है साथ ही यूरो और येन जैसे करेंसी में भी गिरावट से विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ा है.  बहरहाल विदेशी मुद्रा भंडार में कमी और आयात में बढ़ोतरी के बावजूद हमारे पास अगले 9 महीनों के आयात करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार मौजूद है. 2013 में  टेपर टैंट्रम के दौरान केवल 7 महीने के आयात के लिए विदेशी मुद्रा भंडार बचा था. 


ये भी पढ़ें 


Anil Agarwal: जानिए कैसे लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी लिस्ट कराने वाले पहले भारतीय बने अनिल अग्रवाल!


OYO Hotels IPO: Oyo ने तेज की IPO लाने की कवायद, सेबी के पास जमा कराये लेटेस्ट डॉक्यूमेंट्स