वित्त वर्ष 2022-23 के आखिरी तीन महीने भारतीय इस्पात क्षेत्र (Indian Steel Sector) के लिए अच्छे साबित हुए. इस दौरान दिसंबर तिमाही की तुलना में भारत के इस्पात निर्यात में तेजी देखी गई. हालांकि तिमाही आधार पर भले ही निर्यात के आंकड़े बेहतर हुए हों, साल भर पहले से तुलना करने पर यह अभी कम ही हैं. ताजा आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है.
साल भर पहले से इतना कम
ज्वायंट प्लांट कमिटी (JPC) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च तिमाही के दौरान इस्पात के तैयार उत्पादों (Finished Steel Products) का निर्यात 1.98 मिलियन टन रहा. यह दिसंबर तिमाही के 1.14 मिलियन टन के निर्यात की तुलना में करीब 73 फीसदी ज्यादा था. हालांकि साल भर पहले यानी मार्च 2022 तिमाही की तुलना में भारत का इस्पात निर्यात दो-तिहाई ही रहा.
इस फैक्टर का हुआ असर
पूरे वित्त वर्ष के हिसाब से बात करें तो घरेलू स्टील सेक्टर ने चुनौतियों का सामना किया. पूरे वित्त वर्ष 2022-23 यानी अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के दौरान इस्पात के 6.72 मिलियन टन तैयार उत्पादों का निर्यात हुआ. यह साल भर पहले यानी वित्त वर्ष 2021-22 की तुलना में करीब-करीब आधा है. पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत के इस्पात निर्यात पर एक्सपोर्ट ड्यूटी का नकारात्मक असर हुआ है. सरकार ने पिछले साल मई महीने में इस्पात के निर्यात पर ड्यूटी लगाई थी.
घरेलू बाजार में बढ़ गई थीं कीमतें
दरअसल पिछले साल घरेलू बाजार में इस्पात और इस्पात के उत्पादों की कीमतें रिकॉर्ड तेजी में थीं. सरकार ने इस्पात व इस्पात उत्पादों की चढ़ी कीमतों को काबू करने के लिए निर्यात को हतोत्साहित करने का कदम उठाया था. इसी कारण इस्पात के निर्यात पर ठीक-ठाक शुल्क लगा था, ताकि घरेलू बाजार में इनकी समुचित आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके.
नवंबर के बाद होने लगा सुधार
सरकार ने मई 2022 में इस्पात की ज्यादातर श्रेणियों पर ड्यूटी लगाई थी. इससे भारतीय स्टील मैन्यूफैक्चरर्स के प्रोडक्ट्स विदेशी बाजारों के लिए महंगे और गैर-प्रतिस्पर्धी हो गए. जब सरकार ने नवंबर 2022 में ड्यूटी को हटाने का फैसला लिया, तब उसके बाद स्टील के निर्यात में सुधार दिखने लग गया. आंकड़ों के अनुसार, मार्च महीने में निर्यात का आंकड़ा पूरे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान किसी एक महीने का सबसे ज्यादा है. मार्च महीने में यह आंकड़ा 8,12,100 टन रहा था.
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