India Cuts Russian Oil Purchase: जानें क्यों भारत ने रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने का लिया फैसला!
Russian Crude Oil: कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले मध्य पूर्व देशों ने दामों में भी कटौती की है जिससे रूस से आने वाले कच्चे तेल पर असर पड़ा है.
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India Cuts Purchase Of Russian Oil: भारत की तेल रिफाइनिंग कंपनियों ( Oil Refining Companies) को जो बीते कई महीने से सस्ते में रूस ( Russia) से कच्चा तेल ( Crude Oil) खरीद रही थीं उन्होंने इस महीने ट्रांसपोर्ट चार्जेज ( Freight Charges) में भारी बढ़ोतरी के बाद रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने का मन बनाया है. भारत की रिफाइनिंग कंपनियां अब अफ्रीका और अरब देशों से कच्चा तेल खरीदेंगी.
रूस से तेल खरीदना हुआ महंगा!
रूस की ईएसपीओ क्रूड ऑयल (ESPO Crude Oil) मंगाने पर भारत की तेल कंपनियों को 5 से 7 डॉलर प्रति बैरल ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी. जबकि उसी ग्रेड का तेल संयुक्त अरब अमीरात ( UAE) में सस्ते में मिल रहा है. रूस की ईएसपीओ क्रूड ऑयल की जगह भारत की तेल कंपनियां पश्चिमी अफ्रीका के देशों से खरीद रही हैं. इतना ही नहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल ( Brent Crude Oil) और दुबई बेंचमार्क ( Dubai Benchmark) के बीच कीमतों के फासले में भी कमी आई है.
भारत कम खरीद रहा रूस से तेल
जून महीने में भारत ने रूस से रिकॉर्ड मात्रा में कच्चा तेल खरीदा था उसके बाद से लगातार खरीदारी में कमी आई है. रूस से भारत के लिए 2 मिलियन टन कच्चे तेल की लोडिंग की गई है जो अगस्त में 3.55 मिलियन टन थी जिसमें 585,090 ईएसपीओ क्रूड था. भारत ने अफ्रीका से इस महीने 2.35 मिलियन टन तेल खरीदा है जबकि अगस्त में केवल 1.16 मिलियन टन तेल की खरीदारी की गई थी. वैसे भी सितंबर में रिफाइरी में मेंटनेंस के लिए शटडाउन होने के चलते कंपनियां कम कच्चा तेल खरीदने वाली है.
खाड़ी के देशों ने घटाये दाम!
कच्चे तेल का उत्पादन करने वाले मध्य पूर्व देशों ने दामों में भी कटौती की है जिससे रूस से आने वाले कच्चे तेल पर असर पड़ा है. रूस से भारत कच्चा तेल आने में जहां एक महीने लगते हैं वहीं खाड़ी के देशों से आने में केवल एक हफ्ते का समय लगता है.
युद्ध के बाद सस्ते तेल का मिला फायदा!
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अमेरिका यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाते हुए कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया था. जिसके बाद रूस से भारत को सस्ते में तेल बेचने का ऑफर दिया और भारत की सरकारी और निजी रिफाइनिंग कंपनियों ने मौके का फायदा उठाते हुए सस्ते में कच्चा तेल आयात किया और उसे रिफाइन कर फाइनल प्रोडक्ट्स का निर्यात किया. इससे इन कंपनियों को जबरदस्त फायदा हुआ. युद्ध से पहले भारत रूस से कभी कभार ही कच्चे तेल की खरीदारी किया करता था. लेकिन अंतरराष्ट्रीय दामों के मुकाबले रूस ने भारत और चीन को सस्ते में कच्चे तेल बेचा.
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