RERA-IBC कानूनों से भारत का रियल एस्टेट सेक्टर की पारदर्शिता बढ़ी, रैंकिंग में 34वें नंबर पर
पिछले कुछ वर्षों के दौरान सरकार की ओर से लगातार की गई कोशिश की बदौलत रियल एस्टेट ट्रांसपैरेंसी इंडेक्स में भारत की स्थिति सुधरी है.
पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार की ओर से लगातार की गई कोशिश की बदौलत रियल एस्टेट ट्रांसपैरेंसी इंडेक्स में भारत की स्थिति सुधरी है. यह 34वें पायदान पर पहुंच गया है. 2014 में भारत इस इंडेक्स में 39वें नंबर पर था. रेरा, दिवालिया कानून और रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट की वजह से रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता बढ़ी है. यही वजह है कि इसने जेएलएल कंस्लटिंग फर्म की ओर से जारी ग्लोबल रियल एस्टेट इंडेक्स में पांच रैकिंग की छलांग लगाई.
जेएलएल के इस इंडेक्स के मुताबिक एक से दस की रैंकिंग वाले देशों का रियल एस्टेट सेक्टर सबसे ज्यादा पारदर्शी माना जाता है. वहीं 11-33 की रैंकिंग वाला रियल एस्टेट मार्केट पारदर्शी. 34 से 59 की रैंकिंग वाला रियल एस्टेट बाजार सेमी-ट्रांसपरेंट माना जाता है.
ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस कनाडा के बाजार सबसे पारदर्शी
मंगलवार को जारी रैंकिंग में कहा गया है कि भारत में रेरा 2016, जीएसटी, बेनामी लेनदेन निषेध एक्ट, इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, लैंड डेटा और डिजिटलीकरण जैसे कई सुधारों की बदौलत रियल एस्टेट सेक्टर की पारदर्शिता में सुधार हुआ है. 2022 तक सबके लिए घर योजना और इसके लिए किए गए कानूनी और राजकोषीय उपायों, खास कर टैक्स छूट और ब्याज सब्सिडी का रियल एस्टेट सेक्टर की ट्रांसपरेंसी पर असर हुआ है. रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट जैसे फ्रेमवर्क से तो भारत में संस्थागत निवेशकों की दिलचस्पी काफी बढ़ी है.
इन देशों की रैंकिंग में तेज सुधार
पिछले तीन साल से भारत में सालाना 5 अरब डॉलर का संस्थागत निवेश हो रहा है.रैंकिंग में सबसे तेजी से सुधार करने वालों में मेनलैंड चाइना, थाईलैंड (33), भारत (34), इंडोनेशिया (40), फिलीपींस (44) और वियतनाम (56) शामिल है. रैंकिंग के मुताबिक ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और कनाडा टॉप पर हैं. दूसरी ओर तंजानिया, डोमिनिकन रिपब्लिक, इराक, इथियोपिया और लीबिया रियल एस्टेट ट्रांसपरेंसी में सबसे निचले स्तर पर हैं.