दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं यानी अमेरिका और चीन के बीच लंबे समय से रिश्ते सामान्य नहीं हैं. व्यापार और प्रौद्योगिकी समेत विभिन्न मुद्दों पर दोनों देश पिछले कुछ सालों के दौरान दर्जनों बार आमने-सामने आए हैं. ऐसे में अमेरिका आयात के मामले में चीन के ऊपर अपनी निर्भरता को कम करने के प्रयासों में लगा हुआ है. अमेरिका के इन प्रयासों को सफलता भी मिलती दिख रही है और उसे भारत समेत अन्य मित्र देशों से अच्छी मदद मिल रही है.
इंडो-पैसिफिक पर फोकस
अमेरिका की वित्त मंत्री (ट्रेजरी सेक्रेटरी) ने हाल ही में इस बारे बातें की. उन्होंने बताया कि अमेरिका लगातार चीन पर अपनी निर्भरता को कम करने का प्रयास कर रहा है. इसके लिए भारत, वियतनाम, मैक्सिको जैसे देशों के साथ अमेरिका अपने व्यापार को बढ़ावा दे रहा है. उन्होंने कहा कि अमेरिका ने ऐतिहासिक रूप से इंडो-पैसिफिक को महत्व दिया है. इस क्षेत्र को ओपन और फ्री बनाए रखने के लिए अमेरिका प्रतिबद्ध है.
इस तरह से बढ़ा है व्यापार
उन्होंने इस संबंध में आंकड़ों को भी सामने रखा. येलेन ने बताया कि पिछले एक दशक के दौरान अमेरिका और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के व्यापार में तेज बढ़ोतरी आई है और यह 2022 में 2.28 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया है. महामारी के बावजूद 2019 के बाद अब तक इस क्षेत्र के साथ अमेरिकी व्यापार में 25 फीसदी से ज्यादा की तेजी आई है.
भारत में बनने लगे आईफोन
आपको बता दें कि चीन के ऊपर निर्भरता के चलते अमेरिका को विभिन्न मौकों पर परेशानियों का सामना करना पड़ा है. उससे सबक लेकर अमेरिका अन्य विकल्पों पर ध्यान दे रहा है. यही कारण है कि कई अमेरिकी कंपनियां अपने विनिर्माण व सोर्सिंग को चीन से दूर करने में लगी हुई हैं. दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एप्पल के द्वारा आईफोन व अन्य उपकरणों के विनिर्माण को शिफ्ट करना इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है. एप्पल के कई कांट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स ने हाल-फिलहाल में भारत में क्षमता का विस्तार किया है.
इन देशों से मिल रही है मदद
इसी तरह अमेरिका वाहनों के कल-पुर्जों के मामले में भी चीन पर निर्भरता को कम कर रहा है. इलेक्ट्रॉनिक्स के मामले में भारत के रूप में शानदार विकल्प मिला है, जबकि ऑटो पार्ट्स के मामले में अमेरिका को भारत के साथ-साथ वियतनाम और मैक्सिको से भी मदद मिल रही है. इस तरह से अमेरिका एक देश (चीन) के ऊपर अपनी निर्भरता को कम करने में लगा हुआ है.
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