Anil Agarwal: वेदांता चेयरमैन को भरोसा, डिफेंस में भारत बनेगा आत्मनिर्भर, दुनिया की टॉप-3 ताकतों में होगी एंट्री
India Arms and Ammunition: वेदांता चेयरमैन अनिल अग्रवाल का मानना है कि भारत जल्दी ही डिफेंस के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा और दुनिया की तीन बड़ी ताकतों में शामिल होगा...
बीते कुछ सालों में भारत एक मजबूत आर्थिक ताकत बनकर उभरा है. अर्थव्यवस्था की ताकत बढ़ने के साथ-साथ रक्षा से लेकर सुरक्षा तक देश की स्थिति मजबूत हो रही है. हालांकि अभी भी देश को रक्षा जरूरतों की पूर्ति के लिए बड़े हद तक अन्य देशों से आयात पर निर्भर रहना पड़ता है. वेदांता चेयरमैन अनिल अग्रवाल का मानना है कि जल्दी ही स्थिति बदल सकती है और भारत रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकता है. साथ ही उन्हें इस बात पर भी यकीन है कि आने वाले समय में भारत दुनिया की तीन बड़ी रक्षा ताकतों में एक बनेगा.
भारत के पास जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर
मेटल व माइनिंग सेक्टर के दिग्गज उद्योगपति अनिल अग्रवाल ने गुरुवार को सोशल मीडिया पर इस बारे में अपने विचारों को साझा किया. उन्होंने एक्स पर एक अपडेट में लिखा कि भारत के पास हथियारों और आयुध के मामले में आधुनिक बुनियादी संरचना है. हमारे सभी 52 ऑर्डनेंस प्रतिष्ठान बड़े शहर हैं और मैनपावर व शोध-विकास की क्षमताओं से लैस हैं. हम हर उस चीज को देश में ही बना सकते हैं, जो जल-थल-वायु में हमारी सुरक्षा के लिए जरूरी है.
स्पेस प्रोगाम में साबित हुई क्षमता
अग्रवाल ने इसरो के हालिया अंतरिक्ष अभियानों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष अभियानों में यह साबित किया है कि कैसे कम लागत में बेहतर आउटपुट हासिल किया जा सकता है. भारत के पास इसका शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है. स्पेस प्रोग्राम की तरह इसे अन्य सेक्टर में भी दोहराया जा सकता है. हमारे पास सारी जरूरी क्षमता है और हमें हथियारों व आयुध के लिए अन्य देशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.
डीआरडीओ और एचएएल से मदद
वेदांता चेयरमैन ने कहा कि डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग के नेटवर्क में डीआरडीओ और एचएएल जैसे संस्थान हिस्सा बन सकते हैं. ये संस्थान हमें भी वह हासिल कराने में बड़ा योगदान दे सकते हैं, जो रूस और अमेरिका कर चुके हैं. जिस दिन हम आर्म्स एंड एम्युनिशन में आत्मनिर्भर हो गए, हम दुनिया की टॉप-3 ताकतों में शामिल होंगे.
सरकार ने उठाए हैं ये कदम
अनिल अग्रवाल ने ये टिप्पणी ऐसे समय की है, जब सरकार देश को रक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने पर खासा जोर दे रही है. इसके लिए देश में रक्षा विनिर्माण की क्षमताओं को बढ़ाया जा रहा है. सरकार ने अगले दो सालों में हथियारों के निर्यात को बढ़ाकर 5 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है. देश को डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग का हब बनाने के लिए सरकार ने महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है. स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए 300 से ज्यादा डिफेंस सिस्टम और सब-सिस्टम के आयात पर रोक लगा दी गई है.
जमीन अधिग्रहण पर कही ये बात
वेदांता चेयरमैन ने अलग से एक पोस्ट में लिखा कि दुनिया भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहती है. इसका एक कारण चीन और रूस भी हैं. भारत के लिए एक शानदार कदम यह है कि भूमि रिकॉर्ड को 7/12 की तरह डिजिटल कर दिया गया है. इसकी मदद से SBI जैसी नोडल एजेंसी के साथ मिलकर मार्केटप्लेस जैसा पोर्टल डेवलप किया जा सकता है, जहां खरीदार सीधे कीमत का अनुमान भेज सकते हैं. यदि लैंड ओनर कीमत स्वीकार कर लेता है, तो जमीन ऑटोमेटिकली खरीदार के नाम पर डिजिटल रूप से ट्रांसफर हो जाती है. इससे दोनों पक्षों को काफी सहूलियत होगी, जो लोग इंडस्ट्री सेटअप कर रहे हैं वे तेजी से काम कर सकेंगे और सेलर्स खुश होंगे. समस्या पैदा करने वाले मिडलमैन दूर हो जायेंगे. औद्योगीकरण में तेजी आएगी, नौकरियां पैदा होंगी और भारत में भारी निवेश आएगा. समय और स्पीड ही एसेंस है.
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