UBS Report: देश में बढ़ते हुए अमीरों के दम पर भारत 2026 तक जर्मनी और जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा. 2023 तक भारत में 4 करोड़ के करीब आबादी थी जो समृद्ध कैटगरी में आती थी जिसकी संख्या अगले 5 वर्षों यानि 2028 तक बढ़कर दोगुनी से भी ज्यादा 8.8 करोड़ हो जाएगी. सलाना 10,000 डॉलर से ज्यादा आय वालों को समृद्ध वर्ग में गिना जाता है.
दोगुनी हो जाएगी समृद्ध वोगों की संख्या
इंवेस्टमेंट बैंक यूबीएस (UBS) ने एक रिपोर्ट जारी किया है जिसमें ये बातें कही गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में ये अनुमान था कि भारत की कुल 40 मिलियन (4 करोड़) की आबादी समृद्ध वर्ग में थी. ऐसे लोगों की उम्र 15 वर्ष से ज्यादा है और कुल आबादी में इनकी हिस्सेदारी 4 फीसदी है और इनकी सालाना आय 10,000 डॉलर से ज्यादा है. लेकिन अगले पांच वर्षों में इस समृद्ध वर्ग जिनकी सालाना इनकम 10,000 डॉलर से ज्यादा है उनकी संख्या बढ़कर 2028 तक 88 मिलियन ( 8.8 करोड़) हो जाएगी.
यूबीएस ने अपने रिसर्च रिपोर्ट में लिखा कि देश में कंजम्प्शन ग्रोथ मौजूदा वित्त वर्ष 2024-25 में 4-5 फीसदी और अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 6.5-7 फीसदी सालाना रहेगा जो वित्त वर्ष 2010-11 और 2019-20 में देखने को मिला था. रिपोर्ट के मुताबिक कॉरपोरेट जगत में वेतन बढ़ोतरी में नरमी, पर्सलन लोन ग्रोथ में गिरावट, मॉनिटरी पॉलिसी की सख्ती के प्रभाव के चलते बड़े पैमाने पर शहरी इलाकों में मांग मामूली बनी रहेगी. लेकिन प्रीमियम और समृद्ध सेगमेंट का प्रदर्शन बेहतर रहेगा.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार संभव
यूबीएस के रिपोर्ट के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में खपत में कुछ सुधार की उम्मीद है. देश में सामान्य मानसून का अनुमान है साथ ही कृषि वस्तुओं पर निर्यात पर लगी लगे प्रतिबंध को हटाने और कैपिटल एक्सपेंडिचर में रिकवरी का ग्रामीण इलाकों की अर्थव्यवस्था पर बेहतर असर पड़ेगा. हाल ही में सरकार ने प्याज के निर्यात पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
बेहतर क्वालिटी वाले नौकरियों की दरकार
यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि घरेलू बाजार में डिमांड में तेजी का भारतीय अर्थव्यवस्था को फायदा मिल रहा है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक भारत को बेहतर क्वालिटी वाली नौकरियों की आवश्यकता है जिससे खपत में तेजी बनी रहे. रिपोर्ट के मुताबिक भारत की सबसे बड़ी खासियत ये है कि उसके घरेलू बाजार स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट को भूनाने में सक्षम है जो कि दूसरे एशियाई में नहीं है.
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