MoS IT मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि सरकार अल्फाबेट इंक के गूगल के खिलाफ अपनी बाजार स्थिति का दुरुपयोग करने को लेकर कार्रवाई करेगा. रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पिछले साल एक एंटीट्रस्ट वॉचडॉग की ओर से रिपोर्ट की गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने नियमों का उल्लंघन किया है. इस कारण सरकार इसके खिलाफ कार्रवाई करने की योजना बना रही है.
सरकार ने इससे पहले Google पर दो मामलों में 275 मिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया था. एक मामले में कंपनी एंड्रॉइड ऑपरेटिंग सिस्टम बाजार में अपनी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग करने में शामिल थी और दूसरे में इन-ऐप पेमेंट सिस्टम का उपयोग करने के लिए डेवलपर्स को मजबूर करने का आरोप लगाया गया था.
मंत्री ने कहा छोड़ने का इरादा नहीं!
रॉयटर्स के साथ एक इंटरव्यू में एमओएस आईटी मंत्री ने कहा कि भारत की सरकार के लिए ये गहरी चिंता की बात है. मंत्री के बयान के मुताबिक, मंत्रालय को इसके लिखाफ कार्रवाई करने के बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आप कार्रवाई होने के बारे में देख सकते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम इसे लेकर छोड़ देंगे. कार्रवाई जल्द ही की जाएगी.
गूगल से चर्चा नहीं करेगा भारत
मंत्री ने इसकी जानकारी नहीं दी है कि सरकार गूगल के खिलाफ किस तरह की नियामक कार्रवाई करने की योजना बना रही है. मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा चिंताजनक है, सिर्फ हमारे लिए नहीं यह भारत में पूरे डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र के लिए चिंताजनक है. चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार ने अभी इस बारे में गूगल से कोई चर्चा नहीं की है. उन्होंने कहा किस शायद ये चर्चा करने की आवश्यकता नहीं है.
गूगल पर क्या लगे आरोप
भारतीय स्टार्ट-अप्स और Google के बीच बढ़ते तनाव के बीच, मार्च में NCLAT ने फैसला सुनाया कि Android मार्केट में Google के प्रतिस्पर्धा-विरोधी व्यवहार के बारे में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के निष्कर्ष सटीक थे. जबकि भुगतान से संबंधित मामला वर्तमान में अपील के अधीन है. मंत्री की टिप्पणी भारत में Google के आचरण के बारे में चल रही चिंताओं और चर्चाओं को दर्शाती है.
रिपोर्ट के अनुसार, टिंडर के मालिक मैच ग्रुप और कई स्टार्टअप्स द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने Google की एक नई जांच शुरू की है. दावा किया गया है कि Google द्वारा इन-ऐप भुगतान के लिए एक नई सेवा शुल्क प्रणाली को लागू करना प्रतिस्पर्धा आयोग के अक्टूबर में लिए गए निर्णय का उल्लंघन करता है.
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