Loan Growth: भारत के बैंकों की स्थिति मजबूत बनी हुई है. बैंकों की क्रेडिट ग्रोथ, मुनाफा और एसेट क्वालिटी में बहुत सुधार हुआ है. हालांकि, बैंकों में डिपॉजिट उस गति से नहीं बढ़ रहे हैं. ऐसे में बैंकों को भविष्य में लोन देने की दर को धीमा करना पड़ेगा. एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स (S&P Global Ratings) ने डिपॉजिट में आ रही कमी को चिंताजनक बताया है. आम तौर लोन ग्रोथ प्राइवेट सेक्टर के बैंकों की ज्यादा होती है. प्राइवेट बैंकों की लोन ग्रोथ लगभग 17-18 फीसदी है. इसकी तुलना में सरकारी बैंकों की लोन ग्रोथ 12 से 14 फीसदी बनी हुई है.


बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट ग्रोथ ज्यादा


ग्लोबल रेटिंग्स एजेंसी की डायरेक्टर निकिता आनंद ने बताया कि वित्त वर्ष 2025 में बैंकिंग सेक्टर में क्रेडिट ग्रोथ लगभग 14 फीसदी रह सकती है. वित्त वर्ष में यह 16 फीसदी रही थी. मगर, डिपॉजिट की ग्रोथ लोन ग्रोथ से लगभग 2 से 3 फीसदी कम है. ऐसे में हम उम्मीद करते हैं कि चालू वित्त वर्ष में बैंक कम संख्या में लोन देंगे. अगर डिपॉजिट नहीं बढ़ा तो बैंकों के मुनाफे पर उसका नकारात्मक असर दिखाई देगा. 


डिपॉजिट ग्रोथ बढ़ाने पर ध्यान दें बैंक 


बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक 15 से 20 फीसदी लोन ग्रोथ को आसानी से हासिल कर सकते हैं. इसके लिए उन्हें पूंजी उगाहने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. मगर, यह डिपॉजिट की बराबरी पर आनी चाहिए. भारत की इकोनॉमी मजबूत होती जा रही है. बैंकिंग सेक्टर इसमें अहम रोल निभाने वाला है. इसके लिए उन्हें डिपॉजिट बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए.


जीडीपी से 1.5 गुना चल रही है क्रेडिट ग्रोथ 


निकिता आनंद ने कहा कि लोन ग्रोथ जीडीपी की वृद्धि से लगभग 1.5 गुना बनी हुई है, जबकि डिपॉजिट ग्रोथ जीडीपी के बराबर चल रही है. देश में लोन ग्रोथ को डिपॉजिट ग्रोथ के बराबर लाना होगा. बैंकों को लोन ग्रोथ को बहुत आगे बढ़ने से रोकना होगा. अगर क्रेडिट ग्रोथ धीमी नहीं हुई तो इसके लिए बैंकों को अन्य स्त्रोतों से पैसों का इंतजाम करना पड़ेगा, जो कि उनके लिए सही नहीं रहेगा.


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