Indian Budget: किसने पेश किया था देश का सबसे मशहूर बजट, फिर बन गए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री
Budget 2024: देश की विकास यात्रा में बजटों का अहम योगदान रहा है. इन्हीं में से कुछ बजट यादगार हो गए. मगर, देश की आजादी से 6 महीने पहले आए इस बजट का कारोबारी जगत में काफी विरोध हुआ था.
Budget 2024: जब-जब देश के सबसे लोकप्रिय बजटों की चर्चा की जाती है तो उनमें मनमोहन सिंह के 1991-92, पी चिदंबरम के 1997-98 और यशवंत सिन्हा के 2000-01 के बजटों की चर्चा की जाती है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा किए गए आर्थिक सुधारों पर भी बात की जाती है. मगर, आज हम आपको एक ऐसे बजट के बारे में बताने जा रहे हैं जो आजादी के पहले आया. इसमें लिए गए फैसले आज भी चर्चा का विषय बने रहते हैं. इस बजट को पेश करने वाले शख्स बाद में पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री भी बने.
आजादी के 6 महीने लियाकत अली खान लाए थे बजट
भारत की आजादी के लगभग 6 महीने पहले कांग्रेस और मुस्लिम लीग की अंतरिम सरकार में वित्त मंत्री लियाकत अली खान (Liaquat Ali Khan) ने बजट पेश किया. यह आज भी याद किया जाता है. उन्होंने इस बजट में नमक पर से कर हटाया और कैपिटल गेन टैक्स को लागू करने का प्रस्ताव दिया. खान के इस बजट को गरीब आदमी के बजट की संज्ञा दी गई. उन्होंने टैक्स के लिए न्यूनतम सालाना आय को 2000 रुपये से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया. नमक पर से टैक्स हटाने और टैक्स आय में इजाफे से सरकार के राजस्व में जो कमी आई उसके लिए उन्होंने दो नए टैक्स लगाने का प्रस्ताव दिया.
कैपिटल गेन टैक्स को दिया था जन्म
पहले तो उन्होंने व्यापार से होने वाले एक लाख रुपये से ज्यादा के लाभ पर 25 फीसदी टैक्स लगा दिया. साथ ही 5000 रुपये से ज्यादा के एसेट बेचने पर कैपिटल गेन टैक्स लगा दिया. उन्होंने कॉर्पोरेशन टैक्स को भी दोगुना कर दिया. लियाकत अली खान ने 327.88 करोड़ रुपये का बजट पेश किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का पिछले बजट 39.45 लाख करोड़ रुपये का था.
सामाजिक न्याय वाले बजट की संज्ञा दी गई
इसे सामाजिक न्याय वाले बजट की संज्ञा दी गई. मगर, उद्योगपतियों ने इसका विरोध किया था. बजट के अगले दिन बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बंद रहा. कलकत्ता, मद्रास और दिल्ली में भी बंद का आयोजन किया गया. उद्योग संगठनों ने भी विभिन्न तरीकों से इन नए टैक्स का विरोध किया. इसके बाद तत्कालीन वायसराय लार्ड आर्चिबाल्ड वावेल ने लियाकत अली खान से टैक्स में कटौती करने को कहा.
विवादों में फंस गया था खान का यह बजट
खान के इस बजट पर अन्य तरीके के आरोप भी लगे. इनमें कहा गया कि चूंकि अधिकतर व्यापारी कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे इसलिए ऐसे टैक्स लगाए गए. उनका मकसद हिन्दू मारवाड़ी और बनिया समुदाय को नुकसान पहुंचाने का था. साथ ही कहा गया कि मुस्लिम लीग सिर्फ यह दिखाने के लिए सरकार में शामिल हुई थी कि यूनाइटेड इंडिया को चलाना बहुत मुश्किल काम है. इस बजट ने पाकिस्तान को जन्म को और हवा दे दी. आखिरकार देश को दो हिस्सों में बांट ही दिया गया. मगर, लियाकत अली खान का दिया कैपिटल गेन टैक्स जिंदा ही रहा.
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