शाहरुख खान की फिल्म रईस में एक डायलॉग है "अम्मी जान कहती थीं, कोई धंधा छोटा नहीं होता और धंधे से बड़ा कोई धर्म नहीं होता." शायद यह डायलॉग भारत के एक बड़े बिजनेसमैन के अंदर घर कर गया. यही वजह है कि करोड़ों का मालिक होने के बाद भी यह शख्स खुद को दुनिया के सामने डिलीवरी ब्वॉय दिखाता है. चलिए आज आपको इस भारतीय बिजनेसमैन और उसकी 2 लाख 38 हजार 281 करोड़ के मार्केट कैप वाली कंपनी की कहानी बताते हैं.
कौन ये है बिजनेसमैन
हम जिस बिजनेसमैन की बात कर रहे हैं उनका नाम है दीपेंद्र गोयल. दीपेंद्र गोयल जोमैटो के फाउंडर और CEO हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि हम दीपेंद्र गोयल को डिलीवरी ब्वॉय क्यों कह रहे हैं. दरअसल, ऐसा खुद दीपेंद्र गोयल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया है. उन्होंने अपने एक्स के आधिकारिक अकाउंट पर खुद को डिलीवरी ब्वॉय एट जोमैटो और ब्लिंकिट लिखा है. इसके अलावा कुछ दिनों पहले उन्होंने अपनी पत्नी के साथ मिलकर जोमैटो के लिए फूड डिलीवरी भी की थी. इसका वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था.
कैसे बनी जोमैटो
जोमैटो से पहले आप दीपेंद्र गोयल की कहानी जानिए. दीपेंद्र गोयल एक साधारण परिवार से थे. उनके माता-पिता दोनों शिक्षक थे. अपनी स्कूली शिक्षा चंडीगढ़ से पूरी करने के बाद, उन्होंने 2001 में जेईई एडवांस की परीक्षा पास की और दिल्ली आईआईटी में एडमिशन ले लिया. यहां से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, दीपेंद्र गोयल ने बैन एंड कंपनी में नौकरी शुरू कर दी. नौकरी के दौरान उन्हें समझ आया कि ऑफिस में काम करने वाले ज्यादातर लोग खाना ऑर्डर करते हैं, लेकिन उनके पास कोई बढ़िया फूड डिलीवरी एप्लीकेशन नहीं है.
इसके बाद दीपेंद्र गोयल ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दिया और अपने दोस्त पंकज चड्ढा के साथ मिलकर उन्होंने फूडीबे नाम की फूड डिलीवरी कंपनी बनाई. बाद में इसी कंपनी को साल 2010 में उन्होंने जोमैटो में रीब्रांड कर दिया. आज यही जोमैटो भारतीय बाजार में छाया हुआ है और हर रोज इस ऐप पर लाखों लोग खाना ऑर्डर करते हैं.
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