2014 से 2023 तक भारतीय अर्थव्यवस्था ने लगाई ऊंची छलांग, पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के ये रहे अहम पड़ाव
Indian Economy: भारत की गिनती आज दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में होती है और इसके पीछे की कहानी बेहद लंबी है. यहां भारतीय अर्थव्यवस्था के 10वें से 5वें स्थान पर आने के सफर का लेखाजोखा जानिए.
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Indian Economic Growth Journey: भारत की अर्थव्यवस्था का सफर केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद कैसा रहा है, इसको लेकर अक्सर सवाल और वाद-विवाद होते रहे हैं. साल 2014 से 2023 तक देश की अर्थव्यवस्था को लेकर आम जनता का क्या सोचना है, इसको लेकर अलग-अलग राजनीतिक दलों द्वारा अपने पक्ष में दावे भी होते रहे हैं. हालांकि वैश्विक आर्थिक संस्थानों के आंकड़े और अनुमान देखे जाएं तो भारत की स्थिति साल 2014 के मुकाबले काफी अच्छी दिखाई देती है. हम ऐसा क्यों कह रहे हैं- ये आपको आगे पता चल जाएगा.
कोविड संकटकाल से निकलकर बाहर आई भारत की इकोनॉमी ने दिखाया दम
साल 2014 से मौजूदा साल 2023 तक का देश का आर्थिक सफर ऐसा रहा है जिसे रोलर कोस्टर राइड कह सकते हैं. कोविड के संकटकाल से जूझती हुई वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के बीच में भारत की अर्थव्यवस्था की हालत भी खासी डगमगाई. हालांकि आज कोविड के संकटकाल से बाहर आकर भारतीय इकोनॉमी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर चुकी है और ये वास्तव में बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है.
कैबिनेट मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारत सरकार की उपलब्धियों के बारे में ये कहा
हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक में देश की इकोनॉमी को लेकर केंद्र सरकार के कदमों के बारे में जानकारी दी. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि "वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के संदर्भ में देखें तो साल 2014 में भारतीय अर्थव्यवस्था दसवें स्थान पर थी. आज जब देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृतकाल के दौर में प्रवेश कर चुका है, हम ग्लोबल इकोनॉमी में पांचवें स्थान पर आ गए हैं. भारत ने युनाइटेड किंगडम को पीछे छोड़ा है और ये केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियों की बेहद बड़ी सफलता है. हमारी सरकार ने सुनिश्चित किया है कि देश में कोई भूखा ना सोने पाए. देश की 80 फीसदी जनसंख्या को 5 किलो चावल और एक किलोग्राम दाल मुहैया कराई गई है."
धर्मेंद्र प्रधान ने ये भी कहा कि "जब 2014 में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आई तो वैश्विक जीडीपी में भारत का हिस्सा 2.6 फीसदी पर रहा था. आज इसे देखें तो ये बढ़कर 3.5 फीसदी पर आ चुका है. आजादी के 75वें साल में ये आंकड़ा देश का हौसला बढ़ाने का काम करता है. 2014 से लेकर अब तक देश के गुड्स एंड सर्विसेज (जीएसटी) कलेक्शन में 22 फीसदी का इजाफा देखा गया है. देश की अर्थव्यवस्था को लेकर भारत सरकार का जो आर्थिक संकल्प है, ये आंकड़े उसकी बानगी हैं."
हालांकि भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री की बातों को अगर सरकारी बयान मानें तो भी यहां हम कुछ ऐसी बातों पर प्रकाश डाल रहे हैं जो भारत की आर्थिक तेजी की रफ्तार को दिखाती है
भारत के आगे वाले चार देशों की जीडीपी का आकार जानें
वैश्विक इकोनॉमी में भारत का स्थान पांचवा है और हमारे आगे चार देश और हैं. इनमें अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के नाम हैं. दुनिया का सबसे धनवान देश अमेरिका है और इसकी जीडीपी 25.035 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर है. दूसरे स्थान पर चीन है जिसकी जीडीपी का साइज 18.321 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है. इसके बाद जापान का नाम आता है जिसका जीडीपी साइज 4.301 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है और जर्मनी की जीडीपी 4.031 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गई है. भारत की जीडीपी का साइज आज बढ़कर 3.469 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया है.
भारतीय इकोनॉमी का 2014 से 2023 तक का सफर देखें
साल 2014 में भारत की जीडीपी के कुल आकार की बात की जाए तो ये 2.04 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर पर थी जो आज बढ़कर 3.46 लाख अमेरिकी डॉलर पर आ गई है. साल 2014 में भारत का कुल जीडीपी साइज 2,039,127 लाख यूएस डॉलर पर था जो आज बढ़कर 3.469 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पर आ गया है.
ऑटोमोबाइल क्षेत्र में भारत की ऑटो इंडस्ट्री का जलवा बना
देश की तरक्की में इसके ऑटोमोबाइल सेक्टर का भी बड़ा हाथ होता है और साल 2022 में देश के नाम एक ऐसी कामयाबी लगी है जो इसको साफ तरह से साबित करती है. दरअसल 2022 में भारत जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल मार्केट बन गया है. भारत में साल 2022 में कुल 42.5 लाख नई गाड़ियां बिकी है जबकि जापान में 2022 के दौरान कुल 42 लाख यूनिट्स गाड़ियों की बिक्री हुई. वैश्विक ऑटो बाजार में भारत ने जापान के दबदबे को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो मार्केट होने का रुतबा भी हासिल किया है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भारत की जीडीपी को लेकर क्या है अनुमान
भारत की कुल जीडीपी को लेकर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भी अच्छा अनुमान है. इसने दिसंबर में अनुमान दिया था कि वित्त वर्ष 2022-23 में भारत की रियल जीडीपी 6.8 फीसदी पर रह सकती है. इससे अगले साल यानी वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की रियल जीडीपी के 6.1 फीसदी पर रहने का अनुमान है.
एशियाई देशों में भारत की हालत सबसे अच्छी
पाकिस्तान की आर्थिक हालात के चर्चे सुर्खियों में हैं और वहां खाने-पीने के सामान से लेकर पेट्रोल-डीजल, गैस जैसी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं. भारत के एक और पड़ोसी देश श्रीलंका की आर्थिक हालात के बारे में पिछले साल बेहद चर्चा हुई और ये देश भी भारत से सहायता हासिल करने के लिए उत्सुक था. वहीं एशियाई देशों में आर्थिक महाशक्ति बनने का रुतबा हासिल करने वाला पहला देश चीन इस समय आर्थिक मोर्चे पर कठिनाइयों से जूझ रहा है.
चीन की हालत है पस्त, आर्थिक विकास दर पिछले 50 साल के दूसरे सबसे निचले स्तर पर आई
चीन की जीडीपी में बड़ी गिरावट देखी गई है और ये पिछले 50 सालों के दूसरे सबसे निचले स्तर पर आ गई है. चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक चीन की जीडीपी दर 3 फीसदी पर आ गई है. इसका सकल घरेलू उत्पादन 1,21,020 अरब युआन या 17,940 अरब डॉलर पर रहा है. आंकड़ों के मुताबिक 2022 में चीन की जीडीपी वृद्धि दर 5.5 फीसदी के आधिकारिक लक्ष्य से काफी नीचे रही है और ये वहां कोविड संकटकाल के कारण हुई है.
भारत ने बनाया पूरी दुनिया को अपना कायल
इन सब तथ्यों को देखें तो हमें ये मानना होगा कि देश ने आर्थिक मोर्चे पर काफी शानदार मुकाम हासिल किया है और ग्लोबल चुनौतीपूर्ण माहौल में भी यहां आर्थिक विकास का चक्का थमा नहीं है. देश के लोगों के पास खाद्य सुरक्षा के अधिकार के तहत खाने-पीने के सामान की व्यवस्था है. भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी की कायल पूरी दुनिया हुई जब भारत ने कई देशों को कोविड महामारी से लड़ने के लिए वैक्सीन भिजवाई और वसुधैव कुटुंबकम की भावना को चरितार्थ किया. देश की कूटनीतिक सफलता के साथ ही आर्थिक सफलता के परिप्रेक्ष्य में देखें तो भारत आज किसी भी विकसित देश से कम नहीं है और येही इन बीते 9 सालों का सार हमें दिखाई देता है.
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